कविता

चमन मुस्कराए

सावन मास की पूर्णिमा को

होता राखी त्योहार,

भाई- बहन के स्नेह का

ये लम्हा शुभ उपहार।

भाई की कलाई पर 

जब बहना बाँधे राखी

भाई अलंकृत होकर

तब गीत सुरीले गाते।

हर भाई का भाव यही

चमन बहन का रहे खिला

खुशियाँ मिलें अपार बहन को

प्रगति का हो आकाश खुला।

मिले सदा उपहार दिव्य

भाई- बहन के मध्य सदा

होता अति स्नेह अपार,

दे पाती बहना भला कहाँ!

किसी और को इतना नेह

मस्तक करे अलंकृत बहना

भाई को राखी बाँधती है

बलैंया ले आरती उतारती है।

भैया मेरा खुशहाल रहे

दिन- रात दुआएँ करती है

सदियों तक वो जीता रहे।

उसका चमन मुसकराता रहे। 

भाई- बहन के मध्य तीसरा

और कोई भी न आ पाए,

स्नेह भरे लड़ते रहते पर

हर पल जान छिड़कते रहते । 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921