कविता

एक बूँद 

सोई थी एक बूँद 

जलद की क्रोड़ में 

कुछ अलसायी 

कुछ सकुचाई 

अस्तित्व की तलाश में 

किंकर्तव्यविमूढ़ सी

चली धरा की ओर

समक्ष रक्ताभ कमल

हुई आकर्षित 

पर कुछ पाने की चाह 

सागर की ओर खींच लाई 

निरख सीप को 

हर्षित और ललचाई 

अंतस में उठी हूक

वह मचली, गति मंद हुई 

“पिहूँ-पिहूँ ” पुकार आई

घोले करूण रस

वृक्ष सिरे पर लहराई 

देख चातक के 

चिर-प्रतिक्षित आस

तृषित नयन, आकण्ठ प्यास

विह्वल हुई, जा मिली 

पूर्ण हुई, दे जीवन दान। 

— डा अनीता पंडा ‘अन्वी

डॉ. अनीता पंडा

सीनियर फैलो, आई.सी.एस.एस.आर., दिल्ली, अतिथि प्रवक्ता, मार्टिन लूथर क्रिश्चियन विश्वविद्यालय,शिलांग वरिष्ठ लेखिका एवं कवियत्री। कार्यक्रम का संचालन दूरदर्शन मेघालय एवं आकाशवाणी पूर्वोत्तर सेवा शिलांग C/O M.K.TECH, SAMSUNG CAFÉ, BAWRI MANSSION DHANKHETI, SHILLONG – 793001  MEGHALAYA [email protected]