खेलो इंडिया जीतो इंडिया*
खेल को बनाओ जीवन का हिस्सा।
वरना व्यर्थ है जीवन का किस्सा।
आज खेल से विकास है
देखो उसी में प्रकाश है।
ग्रामीण ओलंपिक हो चाहे
शहरी ओलंपिक हो
दादा बना जवान है।
क्योंकि दूसरों से ज्यादा
उनमें अपने पर विश्वास है।
स्वास्थ्य ही धन है और
खेल ही औषधि है।
स्वास्थ्य ही दौलत है।
सब खेल की बदौलत है।
खेल जीवन का आधार है।
खेलों में भविष्य है और
भविष्य में खेल है।
जीवन भी खेल है
वरना सब फेल है
स्वस्थ रहना है तो
खेलना भी जरूरी है
उम्र को बढ़ाना है तो
कसरत भी जरूरी है।
जीवन का मैदान हो चाहे
खेल का मैदान हो।
हार-जीत के खेल में
खेलना जरूरी है।
पढ़ाई के साथ-साथ
खेलना जरूरी है।
बेटों के साथ-साथ बेटियों को
भी खेलाना जरूरी है।
आज खेल में करियर बनाने लगे हैं।
भारत के युवा दुनिया में दम दिखाने लगे हैं।
बेटों से कम नहीं है बेटियां
स्वर्ण पदक को पाने में आगे हैं बेटियां।
एक हाथ में हो हौसला और दूसरे में तिरंगा हो।
मेरे भारत का हर बच्चा खिलाड़ी हो।
खेल में भरपूर प्यार है, भाईचारे का साथ है।
सम्मान और शांति का पैगाम है।
वतन के लिए जीना तुम
चाहे कितनी ही लाख मुसीबत हो।
क्योंकि तक़दीर में हो यदि खेल तो
खेलों में आज तकदीर है।
आज खेलों में भारत की धड़कन है।
इन धड़कनों में भारत की ऊंची उड़ान है।
अब खेल से नहीं होता है कोई खराब।
अब हर किसी का है, एक ही ख़्वाब
जीतने का है एक ही जवाब।
जीतो इंडिया खेलो इंडिया।
— डॉ. कान्ति लाल यादव