ग़ज़ल
कर्मठता की ज्योति जगाते कृष्ण श्री भगवान।
गीता का उपदेश सुनाते कृष्ण श्री भगवान।
मानवता में शक्ति भक्ति संयम उद्यम लेकर,
युग युगांतर आते जाते कृष्ण श्री भगवान।
शुभ इच्छाओं भीतर रहमत वाली एक आहुति,
घर घर की उन्नति में पाते कृष्ण श्री भगवान।
भारत देश प्यारा लगता सबसे ज्यादा न्यारा,
बांसुरी के हर सुर में गाते कृष्ण श्री भगवान।
विभिन्न फूलों का गुलदस्ता भव्य लगता जचता,।
एकम का शुद पाठ पढ़ाते कृष्ण श्री भगवान,
उस के एक आकार में सारी काऐनात सृष्टि,
ऊँ श्री के अर्थ सिखाते कृष्ण श्री भगवान।
अपने एक सुदर्शन चक्कर से करते इन्साफ,
स्वयं जीतते स्वयं हराते कृष्ण श्री भगवान।
शस्त्र विद्या शास्त्र विद्या ज्ञान तथा विज्ञान,
भारत के सिर मुकुट सजाते कृष्ण श्री भगवान।
बालम जाति धर्म से ऊपर यार सुदामा पा कर,
तब ही स्वयं भगवान कहलाते कृष्ण श्री भगवान।
— बलविंदर बालम