जरा ठहरो……
कभी ती ठहरो इस दिल में अपने मकाँ की तरह,
रखेंगे तुमको सजाकर हम जिस्मो-जाँ की तरह|
बरसाओ एक बूँद की खिले दिल का चमन
मुद्दत से ये दिल भी है एक खिजाँ की तरह|
वो तो इक चाँद को पाकर इतराता बहुत है|
ले लो पनाहों में मुझको भी आसमाँ की तरह|
वादा है हमारा ना आएगी अमावश कभी भी,
रौशन रखेंगे तुमको हम हम पूर्णिमा की तरह|
कभी तो खुल के कह दो तुम अपने दिल की बात,
वादा है हमको भी रखेंगे उसे राजदाँ की तरह|
— सविता सिंह मीरा