गीतिका/ग़ज़ल

जरा ठहरो…… 

कभी ती ठहरो इस दिल में अपने मकाँ की तरह,

रखेंगे तुमको सजाकर हम जिस्मो-जाँ की तरह|

बरसाओ एक बूँद की खिले दिल का चमन 

 मुद्दत से ये दिल भी है एक  खिजाँ  की तरह|

वो तो इक  चाँद  को पाकर इतराता बहुत है|

ले लो पनाहों में मुझको भी आसमाँ की तरह|

वादा है हमारा ना आएगी अमावश कभी भी, 

रौशन रखेंगे तुमको हम हम पूर्णिमा की तरह|

कभी तो खुल के कह दो तुम अपने दिल की बात, 

वादा है हमको भी रखेंगे उसे  राजदाँ की तरह|

— सविता सिंह मीरा 

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]