बाल कविता : नटखट कन्हैया
ठुमक–ठुमक आए कन्हैया,
देखो नटखट है नंदलाल,
छम–छम छम घुंँघरू बाजे,
पैरों में सुंदर साजे,
गोकुल की गलियों में घूमे,
घुंँघरालू है उसके बाल।।
रोम–रोम जब हर्षित होवे,
गूंँजे आंँगन किलकारी,
मनमोहक ये दृश्य सलोना,
छुप कर देखे गोपियांँ सारी,
नजर उतारे मातु यशोदा,
अचरज हो कर करे सवाल।।
मधुर–मधुर मुरली की धुन,
सुन गैय्या रंभाये,
बाल रूप की छवि निराली,
आंँखों में छप जाये,
मदमस्त मगन हो मेरे कान्हा,
बैठे कदंब की डाल।।
करे उपाय लाख कंस,
भय सर में मंडराये,
बकासुर कृष्णा के आगे,
अपना प्राण गंँवाये,
जन –जन हृदय वास मुरारी,
रखे सभी का ख्याल।।
— प्रिया देवांगन “प्रियू”