कविता

मन की खुशी

मन की खुशी वस्तु नहीं अनुभूति है
ये अनुभूति ही हमें खुशियाँ देती है
हमारे मन को खुशी का आभास कराती है,
खुशी हमारी सोच हमारे विचारों पर निर्भर करतीहै
हमें एक एक खुशी को सहेजना पड़ता है
तब हमारा मन भी खुश रहता है।
हमारा मन खुश रहे इसका कोई फार्मूला नहीं है
हमें छोटी छोटी बातों, चीजों, पलों में
खुशियाँ खुद खोजना पड़ता है
खुद के साथ मन को खुश रखने के बहाने
हर समय ढूंढ़ना पड़ता है,
मन को खुश रखने के लिए
हमें स्वयं भी खुश रहना पड़ता है,
दुख दर्द में खुश रहने की आदत डालना पड़ता है
तभी हमारा मन भी खुश रहता है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921