गीत/नवगीत

श्री कृष्ण जन्मोत्सव

जन्म के साथ, जो करतब दिखाते
माता पिता की, बेड़ियां खुलवाते
पहरेदारों को, गहरी नींद सुलाकर
नंद के घर , आनंद बरसाते
आज उन्हीं कृष्ण,का जन्मोत्सव
चलो हम सब हैं, मिलकर मनाते।।

उंगली पर गोवर्धन, धारण किया
इन्द्र के घमंड को, चूर कर दिया
बृजवासियों को, देकर सुरक्षा
जनता जनार्दन का, मान बढाते।
आज उन्ही कृष्ण, का जन्मोत्सव
चलो हम सब हैं, मिलकर मनाते।।

अल्प आयु में ही, खतरों से खेले
मित्रता की खातिर, ओढ़े झमेले
खेल ही खेल में, नाग नाथ डाला
और पूतना को ,यमलोक पहुंचाते।
आज उन्ही कृष्ण , का जन्मोत्सव
चलो हम सब हैं, मिलकर मनाते।।

बालपन में ऐसी, लीलाएं दिखाई
गोपियों, ग्वालों की, नींदे चुराई
माखन चुराकर, बनें भोले भाले
मैया यशोदा को, खूब छकाते।
आज उन्ही कृष्ण, का जन्मोत्सव
चलो हम सब हैं, मिलकर मनाते।

न्याय के लिए,क्या कुछ नही करते
उपदेश देते, सब भ्रम हर लेते
अर्जुन के रथ का, सारथी बनकर
कर्म के महत्व का, मर्म समझाते।
आज उन्ही कृष्ण, का जन्मोत्सव
चलो हम सब हैं, मिलकर मनाते।

देश धर्म से बढ़कर,कुछ भी नही है
लक्ष्य पर डटे रहना, ही ज़िन्दगी है
परिणाम की चिंता, हम पर छोड़ो
नीति अनीति का, जो फर्क बताते।
आज उन्ही कृष्ण, का जन्मोत्सव
चलो हम सब हैं, मिलकर मनाते।।

एकतरफा नियम, नही हो सकते
बढ़ते अपराध वह, नही सह सकते
जो जैसी भाषा में, समझता है
वैसी ही भाषा में, उसे पाठ पढ़ाते।
आज उन्ही कृष्ण,का जन्मोत्सव
चलो हम सब हैं, मिलकर मनाते।।

घर घर में, कान्हा की पूजा होती
हिंडोले सजते, शंख ध्वनि बजती
कृष्ण तो कण कण, में रचे बसे हैं
बस हम ही हैं, जो देख नही पाते।
आज उन्ही कृष्ण,का जन्मोत्सव
चलो हम सब हैं, मिलकर मनाते।।

कृष्ण तो कण कण, में रचे बसे हैं
बस हम ही हैं, जो देख नही पाते
आज उन्हीं कृष्ण,का जन्मोत्सव
चलो हम सब हैं,मिलकर मनाते।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई