स्वतंत्र भारत के पहले क्रिकेट कप्तान : लाला अमरनाथ
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान लाला अमरनाथ की उपलब्धियां अविस्मरणीय हैं । वे भारत के उन सार्वकालिक महान खिलाड़ियों में से एक हैं, जिनके नाम पर दर्ज अनेक रिकॉर्ड कभी टूट ही नहीं सकते । वे पहले भारतीय क्रिकेटर हैं, जिन्होंने अन्तराष्ट्रीय टेस्ट मैच में शतक बनाया, वह भी अपने पहले ही मैच में । लाला अमरनाथ टेस्ट क्रिकेट मैच में शतक लगाने वाले पहले भारतीय ही नहीं बल्कि पहले एशियाई क्रिकेटर भी थे । उन्हीं की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम को टेस्ट सीरीज में पहली बार जीत मिली । यही कारण है कि लाला अमरनाथ को भारतीय क्रिकेट का जनक माना जाता है । दाएं हाथ के बल्लेबाज और मध्यम तेज गति के गेंदबाज लाला अमरनाथ को एक ऐसे क्रिकेटर के रूप में भी जाना जाता है, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट में राजसी वर्चस्व को चुनौती दी और अपनी योग्यता से टीम के कप्तान बने ।
अमरनाथ जी का असली नाम नानिक अमरनाथ भारद्वाज था । उनका जन्म 11 सितम्बर सन् 1911 ई. को ब्रिटिश भारत में पंजाब के कपूरथला कस पास गोपीपुर नामक स्थान पर एक निम्न मध्यमवर्गीय कायस्थ परिवार में हुआ था । उनकी प्रारम्भिक शिक्षा रणधीर माध्यमिक विद्यालय कपूरथला एवं उच्च शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में संपन्न हुई थी ।
बचपन में ही उन्होंने अपने आसपास अंग्रेजों को मैदान पर क्रिकेट खेलते हुए देखकर क्रिकेट खेलने की निर्णय लिया । उन्होंने अपनी माँ से क्रिकेट का एक बैट माँगा । उनकी माँ ने शहर के बाहर से एक बैट मंगवा दिया, क्योंकि उस जमाने में बैट कपूरथला में नहीं मिलता था । अमरनाथ ने पहली बार क्रिकेट खेलना कपूरथला के एसएसएस क्लब के साथ शुरू किया । उनकी माताजी की मृत्यु के बाद उनका पालन पोषण उनके दादाजी ने लाहौर में किया, जिन्होंने उन्हें कालांतर में अलीगढ़ भेज दिया, जहाँ उन्होंने अपनी विश्वविद्यालयीन क्रिकेट टीम के लिए खेलना शुरू कर दिया ।
कहा जाता है कि उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए लाहौर के एक मुस्लिम क्रिकेटप्रेमी परिवार ने अमरनाथ को गोद ले लिया था । अमरनाथ ने अपने शुरुआती दिन लाहौर (अब पाकिस्तान में स्थित) में बिताए थे । वहाँ उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि एक बार उन्होंने कहा भी था, “अगर मैं कभी पाकिस्तान में चुनाव लड़ा, तो पक्का जीत ही जाउंगा । मुझे वहाँ के लोगों द्वारा मेरे लिए जो बहुत सम्मान का भाव है, उस पर मुझे बहुत गर्व है ।”
8 दिसंबर सन् 1938 ई. को लाला अमरनाथ जी का विवाह कैलाश कुमारी के साथ हुआ । कालांतर में उनकी पांच संतानें हुईं, जिनमे दो पुत्रियाँ कमला और डॉली के अलावा तीन पुत्र क्रमशः मोहिंदर अमरनाथ, राजिंदर अमरनाथ और सुरिंदर अमरनाथ थे । बाद में मोहिंदर अमरनाथ और सुरिंदर अमरनाथ भारत की ओर से अन्तराष्ट्रीय टेस्ट मैच भी खेले जबकि राजिंदर अमरनाथ प्रथम श्रेणी क्रिकेटर थे । उल्लेखनीय है कि लाला अमरनाथ के बड़े बेटे मोहिंदर अमरनाथ सन् 1983 ई. के ऐतिहासिक एक दिवसीय क्रिकेट विश्व कप में ‘मैन ऑफ़ द सीरीज’ चुने गए थे ।
लाला अमरनाथ ने भारत की अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट टीम के अलावा गुजरात, हिन्दूज, महाराजा ऑफ़ पटियालास एकादश, रेलवे, दक्षिणी पंजाब, उत्तरप्रदेश क्रिकेट टीम का भी नेतृत्व किया था
अमरनाथ ने अपना पहला अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट टेस्ट मैच 15 दिसंबर सन् 1933 ई. में इंग्लैंड के खिलाफ साउथ बॉम्बे के बॉम्बे जिमखाना मैदान में खेला था । लाला अमरनाथ ने बॉम्बे चतुष्कोणीय में हिंदुओं के लिए भी कई मैच खेले । सन् 1933 ई. के इंग्लैंड के भारत दौरे में लाला अमरनाथ जी अग्रणी रन स्कोरर थे । श्रृंखला में उन्होंने बॉम्बे में एक भारतीय बल्लेबाज द्वारा पहले टेस्ट मैच की दूसरी पारी में ही 185 मिनट में 21 चौकों की मदद से 118 रन बनाकर इतिहास रच दिया था । इस मैच की पहली पारी में उन्होंने 38 रन बनाए थे । वह इस मैच की दोनों ही पारियों में शीर्ष स्कोरर थे । हालांकि भारत यह मैच हार गया था, परन्तु अमरनाथ की यादगार पारी की सबने मुक्तकंठ से प्रशंसा की थी । एक बल्लेबाज होने के अलावा वे एक गेंदबाज भी थे, जिन्होंने विश्व और आस्ट्रेलिया के सर्वकालिक महान बल्लेबाज सर डोनाल्ड ब्रैडमैन को भी हिट विकेट आउट किया था । उल्लेखनीय है कि सर डॉन ब्रेडमैन अपने बेमिशाल कैरियर में सिर्फ एक बार ही हिट विकेट हुए थे । अमरनाथ भारत के पहले ऑलराउंडर थे, जिन्होंने बल्ले के अलावा गेंद से भी अपने विरोधियों की नाक में दम कर के रख दिया था । उन्होंने अनेक मैचों में विकेटकीपिंग भी की थी ।
लाला अमरनाथ जी स्पष्टवादी और निर्भीक स्वभाव के खिलाड़ी थे । सन् 1936 ई. में इसी स्पष्टवादिता और खुलकर बोलने का खामियाजा भुगतना पड़ा था, जब उन्होंने तत्कालीन भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विजयनगरम के महाराजकुमार के सम्बन्ध में कुछ कह दिया था । इसे ‘अनुशासनहीनता’ माना गया और उन्हें दौरे से वापस भारत भेज दिया गया था । हालांकि लाला अमरनाथ और कई अन्य खिलाड़ियों और खेलप्रेमियों का आरोप है कि यह राजनीति के कारण था ।
इसके बाद लाला अमरनाथ को देश की ओर से अगला क्रिकेट टेस्ट मैच खेलने के लिए लगभग बारह बरस तक इंतजार करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और घरेलू क्रिकेट मैचों में वे लगातार रनों का अंबार लगाते रहे । अंतत: चयनकर्ताओं को भी उनके आगे झुकना पड़ा और उन्होंने सन् 1946 ई. में इंग्लैंड दौरे के साथ एक बार फिर से भारत की राष्ट्रीय टीम में वापसी की । हालांकि तब तक उनकी बल्लेबाजी से ज्यादा धार उनकी गेंदबाजी में आ गई थी ।
लगभग एक साल बाद विजय मर्चेंट के टीम से हटने पर आस्ट्रेलिया के पहले भारत दौर पर लाला अमरनाथ को भारतीय क्रिकेट टीम की कमान सौंपी गई । इस प्रकार लाला अमरनाथ सन् 1947-48 ई. में स्वतंत्र भारत के पहले कप्तान बन गए । उस समय सर डॉन ब्रैडमैन अपने बेहतरीन और शानदार फार्म में थे । नतीजा आस्ट्रेलिया ने भारतीय क्रिकेट टीम को बुरी तरह से रौंद दिया । लाला अमरनाथ इस सीरीज के पांच टेस्ट मैचों के दौरान नाकाम रहे और मात्र 14 की औसत से रन बनाने के अलावा केवल 13 विकेट ही हासिल कर पाए, लेकिन अभ्यास मैचों में उन्होंने विक्टोरिया के खिलाफ 228 रन की एक शानदार पारी खेली थी । लाला अमरनाथ के बल्ले से यह दोहरा शतक तब निकला जब भारत के तीन विकेट बिना किसी रन के ही गिर चुके थे । नील हार्वे ने इस पारी की तारीफ करते हुए कहा था कि उन्होंने इस पारी के दौरान सर्वश्रेष्ठ कवर ड्राइव देखा । डॉन ब्रैडमैन को हिट विकेट आउट करने वाले लाला अमरनाथ एकमात्र गेंदबाज थे । आस्ट्रेलिया के दिग्गज बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन ने भी उनकी तारीफ करते हुए उन्हें क्रिकेट का ‘बेहतरीन दूत’ करार दिया था ।
लाला अमरनाथ के नेतृत्व में, भारत ने सन् 1952 ई. में दिल्ली में पाकिस्तान के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच जीता और 2-1 से श्रृंखला भी जीत ली । दो साल बाद सन् 1954-55 ई. में पाकिस्तान का दौरा करने पर लाला अमरनाथ ने भारतीय क्रिकेट टीम का प्रबंधन भी किया ।
उल्लेखनीय है कि लाला अमरनाथ ने द्वितीय विश्व युद्ध (सन् 1939 से 1945 ई. तक) से पहले केवल तीन ही अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट टेस्ट मैच खेले थे । वैसे भारत ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कोई भी आधिकारिक टेस्ट क्रिकेट मैच नहीं खेला था । इस दौरान अमरनाथ ने प्रथम श्रेणी के क्रिकेट में 30 शतकों के साथ 10,000 से भी ज्यादा रन बनाए, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी दिग्गज टीमें भी शामिल थीं । द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उन्होंने भारत के लिए और 21 अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट टेस्ट मैच खेले ।
लाला अमरनाथ ने कुल 24 अन्तराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट मैचों में एक शतक और चार अर्धशतक की मदद से 24.38 की सामान्य औसत से कुल 878 रन बनाने के अलावा 32.91 की औसत से कुल 45 विकेट भी चटकाए । एक बल्लेबाज के रूप में उनका सर्वोच्च स्कोर 118 रनों का था । उन्होंने 186 प्रथम श्रेणी मैचों में 41.37 की अच्छी औसत से 10,426 रन बनाने के अलावा 22.98 की बेहतरीन औसत के साथ कुल 463 विकेट भी अपने नाम किए थे । एक ऑलराउंडर बल्लेबाज के रूप में प्रथम श्रेणी के मैचों में उनका सर्वोच्च स्कोर 262 रनों का था ।
लाला अमरनाथ बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे । आज भी उनके नाम पर कई रिकॉर्ड दर्ज हैं । एक ही टेस्ट मैच में एक पारी में अर्धशतक बनाने और पांच विकेट लेने वाले वे पहले भारतीय ऑलराउंडर थे । दस या अधिक मैचों में अपने देश का नेतृत्व करने वाले वे पहले भारतीय टेस्ट कप्तान थे । इंग्लैंड की धरती पर दोनों पारियों में शतक लगाने वाले वे पहले भारतीय बल्लेबाज थे । इसके अलावा बिना कोई रन दिए चार विकेट लेने वाले वे दुनिया के छठे और आज तक भारत के एकमात्र गेंदबाज थे । वे ऐसे एकमात्र क्रिकेटर हैं जिन्होंने रणजी ट्रॉफी में पांच राज्यों की ओर से खेल चुके हैं । सन् 1976 में उनके बेटे सुरिंदर अमरनाथ ने न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलते हुए अपने पहले ही टेस्ट मैच में शतक लगाया था । यह उपलब्धि हासिल करने वाली आज तक के लिए यह एकमात्र पिता-पुत्र की जोड़ी है ।
लाला अमरनाथ ने गेंदबाजी और बल्लेबाजी से टीम के लिए अनेक बार अहम भूमिका निभाने के अलावा एक दक्ष चयनकर्ता, बी.सी.सी.आई. के अध्यक्ष, मैनेजर, कोच और कमेंटेटर के रूप में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया था । उनके अतुलनीय योगदान को देखते हुए सन् 1960 ई. में उन्हें एमसीसी की मानद आजीवन सदस्यता दी गई थी । भारत सरकार द्वारा उन्हें सन् 1991 ई. में पद्मभूषण से सम्मानित किया था । मैदान पर मैदान के बाहर भारतीय क्रिकेट में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें सन् 1994 ई. में पहला कर्नल सी. के. नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला, जो किसी पूर्व खिलाड़ी को बी.सी.सी.आई. द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च खेल सम्मान है ।
लाला अमरनाथ जी का 5 अगस्त सन् 2000 ई. को लगभग 89 साल की उम्र में दिल्ली में निधन हो गया । तब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपने शोक संदेश में उन्हें ‘भारतीय क्रिकेट का आइकन’ करार दिया था ।
सन् 2011 ई. में बी.सी.सी.आई. द्वारा रणजी ट्रॉफी में सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर और सीमित ओवरों की घरेलू प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर के लिए लाला अमरनाथ जी की स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए उनके नाम पर एक प्रतिष्ठित पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया । इसके अंतर्गत पहले दो खिलाड़ियों को एक-एक ट्रॉफी और एक-एक लाख रूपए नगद दिए जाते थे, जिसे बाद में बढ़ाकर ढाई-ढाई लाख रूपए कर दिया गया है ।
— डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा