रिटायर..
कहने को तो हो रही हो रिटायर,
बट जस्ट चिल अब लगा देना फायर|
पर इस दिल से जाने की नहीं है इजाजत,
बेरोकटोक खटकायेंगे दरवाजे
हमने भी छोड़ दी है शराफत|
तुम अब हो रही हो आजाद
कितने दिन तक सहा तुमने अघात|
वह कॉपियों की करेक्शन,
वह प्रिंसिपल की किच किच,
स्कूल की वो तकलीफदेह घंटियां,
सुबह की अफरा तफरी मिच मिच|
अब जिंदगी में नो टेंशन
नहीं होगा अब कोई समर सेशन|
अब जब भी सुबह सुनोगी अलार्म
घड़ी को बंद करके सो जाओगी चद्दर तान|
जियोगी अब तुम सुख चैन से,
खुशियां छलकेंगी तेरे दोनों नैन से,
यह बात है याद आओगी तुम
टिफिन तुम्हारी जो रहेगी गुम|
अब जा सिमरन जी ले अपनी जिंदगी
कल से करना जी भर कर दिल्लगी|
अब कुछ वर्षों के बाद
हम भी आ जाएंगे तेरे साथ|
फिर जब हम मिलेंगे सब यार
हंसी खुशी की बरसेगी फुहार|
— सविता सिंह मीरा