गीतिका/ग़ज़ल

हाल दिल का

हाल दिल का कभी बता देते।

और हौले से मुस्कुरा देते।।

पास आकर कोई ग़ज़ल कहते।

हम भी शिकवे सभी भुला देते।।

हाथ लेकर मेरा कभी हाथों में।

दिल के किस्से मुझे सुना देते।।

ज़िन्दगी ने किये जो भी सितम।

ज़िन्दगी के वो ख़त जला देते।।

भूल जाते अगर खता मेरी।

सजदे में तेरे सिर झुका देते।।

करते आगाज़ फिर मुहब्बत का।

तो ये परदा भी हम हटा देते।।

होती ख्वाहिश अगर तुम्हें मेरी।

जीने का साथ हौसला देते।।

नाम लेकर बुलाते हमको तुम।

प्यार से प्यार को जता देते।।

दर्द दिल का बताते तो हमको।

दिल पे मरहम भी हम लगा देते।।

करते चाहे गुनाह तुम कितने ।

फिर भी हम उम्र भर दुआ देते।।

— प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

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