हिंदी का गुणगान करो
भारत की भाषा हिंदी है
हिंदी का तुम मान करो
क्यों पड़े हो अंग्रेज़ी के पीछे
तुम हिंदी का गुणगान करो
जिस देश का नाम ही हिंदी हो
जिसके माथे की बिंदी हो
उस देश में हिंदी क्यों पीछे
ज़रा इसका तुम ध्यान करो
तुम हिंदी का गुणगान करो
जब बाहर कभी हम जाते है
अपने को हिन्दोस्तानी बताते हैं
वह अपनी मातृ भाषा बोलते हैं
हम अंग्रेज़ी में बतियाते हैं
पैदा हम हिंदी में हुए
हिंदी में ही मर जायेंगे
हिंदी तो माता है अपनी
नहीं इसको भूल पाएंगे
क्यों विमुख हो रहे हिंदी से
हिंदी भाषा तुम अपनाओ
मां है हिंदी जान है हिंदी
बोलते इसको मत शरमाओ
जितना मर्जी कोई ज़ोर लगा ले
नहीं होगा इसका रुतबा कम
हिंदी का रास्ता जो रोक सके
नहीं किसी में इतना दम
हिंदी हिन्द की पहचान है
कौन आज इससे अनजान है
हिन्द की रग रग में बसी है हिंदी
हिंदी उगते सूरज के समान है
जब कोरोना सब पर भारी था
तब दूरी सब अपनाते थे
पास आने से डरते थे
नमस्ते से काम चलाते थे
नमस्ते ने ही पूरे विश्व को
एक नया संदेश दिया
भारतबासी हैं सबसे आगे
दुनियां को यह बता दिया
— रवींद्र कुमार शर्मा