लघुकथा

अनोखा उपहार!

हर साल की तरह 10 सितंबर, 2023 के दिन मेरा जन्मदिन था और अनेक मंचों पर बड़े शानो-शौकत से मनाया गया. ये सबसे बड़े उपहार थे, अन्य भी अनेक उपहार मिले, लेकिन मां पार्वती ने जो अनोखा उपहार दिया, उसका कोई सानी नहीं!
हुआ यह कि मैं 19 अगस्त को सहेलियों के साथ पार्क में मां पार्वती की पूजा-उत्सव तीज मनाने गई थी. खास तीज के लिए मैं नया मंगलसूत्र लाई थी. खूब डांस भी किए, गाया-बजाया भी. आखिर में जब हम निकले तो गले पर मेरा हाथ गया, मंगलसूत्र नहीं था. उस समय भी ढूंढा, सुबह भी पर नहीं मिला. ग्रुप में सूचना भी डाली, कोई जवाब नहीं आया. मेरी सखी पार्वती ने कहा “चिंता मती ना कर, मिल जाएगा!”
जन्मदिन से एक दिन पहले शाम को छः बजे पार्वती का फोन आया, “जल्दी से पार्क आओ, मंगलसूत्र मिल गया है.”
मैं दौड़ी-दौड़ी गई. उसी दिन सुबह किसी बच्चे को मिला, उसने अपने पापा को दिया, उन्होंने पत्नि को दिया, पत्नि ने सखी को और सखी ने पार्वती को, पार्वती ने मुझे दिया.
जन्मदिन के लिए मां पार्वती का यह अनोखा उपहार था!

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244