कविता

प्रेरणा ग्राही बन

प्रेरणा लेना श्रेयस्कर है,
प्रेरणा देना श्रेयस्कर है,
इन सबसे भी बढ़कर
प्रेरणा ग्राही बनना श्रेयस्कर है.
हम दूसरों को प्रेरणा दें
उससे पूर्व आवश्यक है
कि हम दूसरों से भी प्रेरणा लें
बिना प्रेरणा लिए हुए
प्रेरणा देने लायक कैसे बनें!
प्रेरणा उन पर्वतों से लें
जिनके मार्ग में आते हैं
अनेक आंधी और तूफान
मगर डिगा नहीं सकते
उनका अटल स्वाभिमान.
प्रेरणा उन लहरों से लें
जो गिरकर फिर उठ जाती हैं
पर अपने लक्ष्य तक पहुंचे बगैर
कहीं भी रुकती नहीं हैं.
प्रेरणा उन बादलों से लें
जो समुद्र से जल लेते हैं
और रेगिस्तान में बरसा देते हैं.
प्रेरणा उन वृक्षों से लें
फल लग जाने पर जिनकी डालियां
स्वतः झुक जाया करती हैं.
प्रेरणा उन फूलों से लें
जो दूसरों के लिए ही
खिलते भी हैं और टूटते भी.
प्रेरणा ग्रहण करते-करते
प्रेरणा ग्राही का जीवन
प्रेरणादायी बन जाता है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244