मैं मूंगफली हूं
मैं मूंगफली हूं
मूंगफली हूं मैं सर्दियों की रानी हूं,
कभी खत्म न होती जो वो कहानी हूं,
मूंगफली के मक्खन से लेकर
उबली हुई मूंगफली की नानी हूं.
कुरकुरी मूंगफली मैं गरीबों का काजू हूं,
सर्द भरी रातों के लिए बच्चों की बाजू हूं,
सच मानो तो,अखरोट का माद्दा रखती हूं,
खुश रहने के चाहकों के लिए राजू हूं.
फटाक फटाक का गुँजन करती हूं,
भूमिगत जन्मी होने पर भी ढूंढ ली जाती हूं,
मौजूद हूं 3,000 वर्षों से अधिक समय से,
स्वादिष्ट-पौष्टिक नाश्ता मानी जाती हूं.
टी बार्नम के सर्कस में ही हुई थी पहली बार,
गर्म भुनी हुई मूंगफली की बिक्री शुरू,
सिनेमा हॉल में भी खाते थे लोग मुझे,
टाइमपास हूं, सोच बढ़ाने के लिए हूं गुरु.
स्वरचित और मौलिक
— लीला तिवानी