कविता

समास

दो या दो से अधिक शब्दों का, मेल समास कहलाता है,
इससे बना नया शब्द ही, ‘समस्त पद’ कहलाता है।

अव्ययी भाव, कर्मधारय, तत्पुरुष, द्वंद्व, द्विगु और बहुब्रीहि,
भेद समास के छः होते हैं, व्याकरण की है यह रीढ़।

पहला पद प्रधान हो अथवा, पद पहला अव्यय होता,
कभी शब्द पूरा अव्यय हो, अव्ययी भाव समास होता।

पद प्रधान हो दूजा जिसमें, हो विभक्ति चिह्नों का लोप,
तत्पुरुष समास कहलाता, धनहीन में ‘से’ का लोप।

पहले विशेषण फिर विशेष्य हो, या उपमेय हो फिर उपमान,
कर्मधारय समास कहलाता, कमलचरण/कमलनयन हैं कमल समान.

पहला पद हो संख्यावाचक, शब्द समूह का बोध कराए,
त्रिफला समूह तीन शब्दों का, वह द्विगु समास कहलाए।

दोनों पद प्रधान हों जिसमें, द्वंद्व समास है वह कहलाता,
‘और,’ ‘तथा,’ ‘या’, ‘अथवा,’ ‘एवं’, विग्रह करने पर लग जाता।

दो या दो से अधिक वर्णों का, मेल संधि कहलाता है,
दो या दो से अधिक शब्दों का, मेल समास कहलाता है।

कोई पद प्रधान न हो जिसमें, पद वाचक हो अन्य शब्द का,
बहुब्रीहि समास कहलाता, पतझड़, विषधर, कनकटा।

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244