कविता

हे मानव तू आज में जी

मत कर चिंता दुखी पल की,

 मत कर चिंता बीते कल की,

माना जीवन हैं ही दुखों का मेला,

जिनमें तू ही बस ना है अकेला,

बीते कल की चिंता में तू

खुद को दुखी ही पाएगा,

और इस दुख के चक्कर में तू

अपने आज को ही भूल जायेगा,

जीवन में निरंतर आगे बढ़ने वाले

बीते कल में नहीं किया करते,

अपने ख्वाबों को पूरा करने वाले

दुखों को नहीं गिना करते ,

अपने दुख के आंसुओं को पी,

हे मानव तू आज में जी।

ख्यालती टंडन

उम्र - 21 वर्ष कक्षा - बी ए तृतीय वर्ष पिता का नाम - श्री हरिचरण टंडन माता का नाम - श्रीमति सफुरा टंडन मो नं - 8871443767 पूरा पता - पन्ना नगर जरहाभाठा बिलासपुर (छ.ग.)