कविता

आओ देश महान बनायें

देशवासिओ ! जागो सारे, अपने दिल में सोच विचारें
दूसरों की ग़लती ना देखें अपनी गलती आप सुधारें ।
कूड़ा – करकट अपने अंदर, जितना भी है भरा पड़ा,
ध्यान- धारणा से ही इसको, बहार करना काम बड़ा।
हम बदलें तो युग बदलेगा बहेगी सब में प्रेम की धारा,
सत्य प्रेम करूणा से निश्चित, जाग जायेगा देश हमारा।
धर्म हमारा मानवता है, सब में देखें मानवता को,
क्रोध से क्रोध नहीं है मिटता जीतें प्रेम से ही घृणा को।
शांति के परचम से सबके अंदर प्रेम की धारा बहाएं,
प्रेम भाव से सब मिल करके आओ देश महान बनायें।

— डा. केवलकृष्ण पाठक

डॉ. केवल कृष्ण पाठक

जन्म तिथि 12 जुलाई 1935 मातृभाषा - पंजाबी सम्पादक रवीन्द्र ज्योति मासिक 343/19, आनन्द निवास, गीता कालोनी, जीन्द (हरियाणा) 126102 मो. 09416389481