कविता

यमराज का प्रश्न

आज की ही बात हैरात के दो बज रहे थेमैं भी आप सबकी तरह हीअच्छा भला गहरी नींद में सो रहा था,पर यमराज ने आकर जबरदस्ती मुझे जगा दिया,गुस्सा इतना आया कि आव देखा न ताव मैंने भी एक झन्नाटेदार झापड़यमराज के गाल पर जड़ दिया।झापड़ इतना सटीक था कि मेरे हाथ की रेखाओं का नक्शाउसके गाल पर छप गया।पर ये क्या यमराज न झल्लायान बड़बड़ाया, बस मुस्करायातब मुझे अपनी भूल का अहसास हुआ।जैसे तैसे मैंने खुद को संयत कियायमराज से इतनी रात गए आने का कारण पूछा।यमराज बड़ी शराफत से हाथ जोड़कर बोलाप्रभु! क्षमा चाहता हूंआना तो मैं दिन में ही चाहता था,पर दिन के उजाले में आकर किसी को डराना नहीं चाहता था।मुझे पता है आपका गुस्सा होना स्वाभाविक हैपर आप पर तो मेरा भी पूरा अधिकार है,क्योंकि धरती पर मेरा कोई शुभचिंतक भी तो नहीं है।लोग मेरा नाम तक लेने से डरते हैंऔर आप बड़े प्यार से इज्जत सम्मान के साथयथा समय चाय नाश्ता ही नहीं खाना भी खिलाते हैं।यमराज की बात सुनकर मैं झुंझला कर बोलायार! एक बात साफ साफ़ सुन लो इस समय चाय नाश्ता या खाने की ख्वाहिश हो भी तो उसे दफन कर दो,हां! पानी पीना हो तो मेज पर जग भरा रखा है पी लोडिब्बे में गुड़ भी है चाहो तो ले लोऔर जो कहना है जल्दी से कहकरचुपचाप अपने रास्ते हो लो।यमराज कृतज्ञ भाव से बोलाआपका बहुत बहुत धन्यवाद है प्रभु,पर मुझे अपने एक प्रश्न का हल भर चाहिएएक बड़ा सवाल है जिसका उत्तर नहीं पा रहा हूंबड़े बड़े ग्रंथों, गूगल और विकपीडिया में भी खोज चुका हूं।संतों, महात्माओं और विशेषज्ञों तक से पूछ चुका हूँपर अपने प्रश्न का उत्तर कहीं भी नहीं पा सका हूँ।अब तो बस आप ही मेरी आखिरी उम्मीद हो,इसीलिए तो इतनी रात आपको जगाया है,आपका थप्पड़ खाकर भी मुस्कराया हूंआपका डर अभी भी मुझमें समाया है,पर बड़ी उम्मीद लेकर ही आया हूँमैंने झुंझला कर पूछा-अरे यार ऐसा कौन सा प्रश्न हैजो तुम्हें इतना परेशान कर रहा है,मेरी नींद भी हराम कर रहा है।यमराज भोलेपन से बोला-प्रभु लोग मरने से क्यूं डरते हैं?जबकि मरना तो उनकी नियत हैये सामान्य सी बात क्यों नहीं समझते?मैंने यमराज को समझाया वत्स! लोग मरने से नहीं तुमसे डरते हैंक्योंकि तुम आने की खबर तक नहीं देते होजब मन किया बस आ धमकते हो।बड़ी मासूमियत से यमराज ने बतायाप्रभु! यह भी तो मैं उनके हित में करता हूं,उनका मरना बड़ा आसान करता हूंकम से कम उन्हें विरोध और धरना प्रदर्शन से बचाता हूँउनके जीवन का यही तो एक अवसर हैजिन्हें बड़ी सुविधा से करने का अवसर मैं देता हूँ।वरना तो उनके अपने हीरो रोकर उनका मरना भी मुहाल कर देंगेमरने से बचाने के लिए सौ सौ उपाय करेंगेधरना प्रदर्शन और मार्ग भी जाम कर देंगेमेरा घेराव कर बंधक बना लेंगेमरने वाले को सुकून से मरने भी नहीं देंगे,मेरे शासकीय काम में अवरोध उत्पन्न करसब मिलकर यह अपराध भी करेंगे।और मुझसे डरना तो दूर मुझे ही धमकाएंगेफिरौती भी माँगेंगे और मेरे हत्या की सुपारी भी किसी शार्प शूटर को दे देंगे।मैं फिर झुंझलायाउसे पालने की गर्ज से फरमाया-अरे यार! बकवास मत करोजैसा चल रहा है चलने दोअपने मन का भ्रम दूर करोकोई डरे या न डरे तुम अपना काम पूरी ईमानदारी से करो,जब जिसके प्राण ले जाना होबेहिचक ले जाओ, अब तो मुझे और न सताओ।वापस नहीं जाना चाहते हो तो मत जाओतुम भी यहीं मेरे साथ सो जाओ।यमराज ने बड़ी शराफत से कहानहीं प्रभु! बस मैं अभी चला जाऊंगाआपको अब और नहीं सताऊंगा।अगली बार जब फिर कभी आऊंगातब आपके साथ खाना खा कर ही जाऊंगा,।एक वादा भी आपसे करता हूँअग्रिम ही आपको आश्वस्त किए देता हूं,आपको शिकायत का मौका ही नहीं दूंगा।आपको जब भी ले जाऊंगाअग्रिम सूचना के बाद ही लें जाऊंगा।क्योंकि आप मुझे बहुत प्रिय हैंआपको जब धरती से लेकर जाना होगातब वीआई पी वाहन लेकर आऊंगाउसमें सम्मान सहित आपको ले जाऊंगायमलोक में आपका भाव तो बढ़ाऊंगा हीफिर वापस धरती पर नहीं आने दूंगाजरुरत हुई तो ब्रह्मा जी से भी लड़ जाऊंगा,आपको अपना मुख्य सलाहकार बनाऊंगामैं भी वी आई पी रुवाब यमलोक में दिखाऊंगा।बस प्रभु! अब आप आराम कीजिएऔर मुझे जाने की इजाजत के साथअपना ढेर सारा आशीर्वाद दीजिएऔर मेरा प्रणाम स्वीकार कीजिए,मेरे सिर पर एक बार फिर सेबस! अपना हाथ रख दीजिए।

*सुधीर श्रीवास्तव

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