कह रहा हैं आईना
कह रहा हैं आईना इंसान से यही
जैसा हूं मैं तू भी तो बन जा वही
देखो वह सच देखो छलावा न करो
दामन में अपने सदा सच ही भरो
जो होता हैं उसीका अक्स दिखा दो
साफ तन ओ मन की तस्वीर बना दो
डरता नहीं कभी में बोलने से सच
तू भी नेक बन झूठ बोलने से बच
नाजुक मैं बड़ा टूट जाता जैसे दिल
दिल से दिल जोड़ देने वाला तू बन
देख मुझे चमक जातें हैं चेहरे सभी
तुझे देख कोई खुश हो ऐसा बन कभी
आईना हूं मैं सच बोलता हूं सदा
टूट कर भी झूठ न बोलूं ये रहा वादा
बिन टूटे बताता हूं तस्वीर एक ही
टूट कर बिखर जाते तो बताता मैं कईं
— जयश्री बिर्मि