गीतिका/ग़ज़ल

ग़जल 

पलकों  में आँसू   छुपा के रखना,

चेहरे पे तुम हँसी सजा के रखना ।

लुढ़कें न कभी आँसू  तुम्हारी गालों पर ,

नफरत की आग सदा बुझा के रखना ।

सहज  नहीं  होता  किसी के आँखों  में ,

हरदम  खुद  को  बसा  के  रखना ।

अगर  तुम्हें  अँधेरे से  डर लगे  कभी ,

कोई  चिराग  तुम  जला  के  रखना ।

भूल से  कभी न हो घर में भाई विभीषण  ,

अपनी  लंका  को  भेदी से बचाये रखना ।

‘ शिव ‘दर्द देने वालों  की परवाह न कर,

औरों की खुशियों का थाल सजा रखना ।

—  शिवनन्दन सिंह 

शिवनन्दन सिंह

साधुडेरा बिरसानगर जमशेदपुर झारख्णड। मो- 9279389968