गुनाह
ये जो गुनाह हुआ मोहब्बत का
ऐसे तो नही हुआ होगा
किसी से तो इश्क़ हुआ होगा।
तभी गुनाह हुआ होगा मोहब्बत का।
कुछ तो चाहत होगी दिल में
कुछ तो अपनापन होगा मन में
तभी गुनाह हुआ होगा मोहब्बत का।
कुछ तो सोचा होगा दिल से
कुछ तो चाहा होगा मन से
तभी गुनाह हुआ होगा मोहब्बत का।
कुछ तो रूह में हुआ होगा
कुछ तो सुकू में खलल हुआ होगा
तभी गुनाह हुआ होगा मोहब्बत का।
— डाँ राजीव डोगरा