कविता

उसूल का पक्का हूं मैं आइना

कभी झूठ नहीं बोलता मैं, कह रहा है आइना,
असलियत को दर्शाता हूं, कह रहा है आइना,
तुम न देखना चाहो तो, बात अलग है,
मैं अपने उसूल का पक्का हूं, कह रहा है आइना।
यथार्थ से सदा परिचय कराना उसका काम है,
दोस्ती-दुश्मनी से निर्वार रहना उसका काम है,
तुम आइने की धूल ही झाड़ते रहो, तुम्हारी मर्जी,
जो जैसा है वैसा ही दिखाना उसका काम है।
खुद को पहचानने से कतराने से क्या होगा!
बोलो तो जमाने से लाख छिपाने से क्या होगा!
आंखों के राज भी सारे खोल देता है आइना,
सिर्फ दूसरों पर उंगली उठाने से क्या होगा!
अतीत की तस्वीरें भी दिखाता है आइना,
वर्तमान की तदबीरें भी दिखाता है आइना,
फुरसत से कभी इसको निहारो तो सही,
भविष्य की तकदीरें भी दिखाता है आइना।

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244