गुलाबी ठंडक होती हैं बेटियां
जो घर भगवान को पसंद होता है,
उसी घर में होती हैं बेटियां.
रोशनी हरपल रहती है वहां,
गुलाबी ठंडक होती हैं बेटियां.
जिस घर में मुस्कान बिखेरती हैं बेटियां.
जरूरी नहीं रोशनी चिरागों से ही हो,
घर में उजाला भी करती हैं बेटियां.
बिना पंखों के भी एक दिन उड़ जाती हैं बेटियां,
अपने पिता के लिए परी का रूप होती हैं बेटियां.
बेटियों से आबाद होते हैं घर-परिवार,
वह घर अधूरा होता है, जहां नहीं होती हैं बेटियां.
बाबुल के घर अभाव में पलने पर भी,
स्नेहसिक्त आशीर्वाद देती हैं बेटियां.
उनसे जाकर पूछो कितनी अनमोल होती हैं बेटियां,
जिनके घर नहीं पधारी हैं बेटियां.
थोड़े-से संस्कारों से संस्कारित होकर,
साहस से सराबोर होती-करती हैं बेटियां.
संसार की सृजनहार हैं ये बेटियां,
घर-परिवार-संसार की रौनक होती हैं ये बेटियां.
— लीला तिवानी