कविता

जीवन एक कोरा पन्ना

जीवन था एक कोरा पन्ना,
कर्म की कलम से लिख दीं
चंद पंक्तियां,
करुणा की कूंची से उकेर दीं
चंद मूर्तियां,
सहयोग की स्लेटी से रच दीं
चंद सूक्तियां,
प्रोत्साहन की पूंजी से सहेज दीं
चंद छवियां,
अनुभवों के अंचल से निःसृत हुईं,
चंद कृतियां
जीवन था जो कोरा पन्ना,
वो अपना-सा लगने लगा.

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244