जीवन एक कोरा पन्ना
जीवन था एक कोरा पन्ना,
कर्म की कलम से लिख दीं
चंद पंक्तियां,
करुणा की कूंची से उकेर दीं
चंद मूर्तियां,
सहयोग की स्लेटी से रच दीं
चंद सूक्तियां,
प्रोत्साहन की पूंजी से सहेज दीं
चंद छवियां,
अनुभवों के अंचल से निःसृत हुईं,
चंद कृतियां
जीवन था जो कोरा पन्ना,
वो अपना-सा लगने लगा.
— लीला तिवानी