राशिफल
राशिफल
“राम-राम पंडित जी।”
“राम-राम एडिटर साहेब।”
“पंडित जी, आज मैंने आपको इसलिए फोन लगाया है क्योंकि आपने कल के अंक के लिए अभी तक राशिफल नहीं भेजा है।”
“एडिटर महोदय, हमारे पिताजी की तबीयत बहुत खराब होने के कारण मैं अपने गाँव आ गया हूँ। जल्दबाजी में अपना लैपटॉप लाना भूल गया। इसलिए मैं आपको ईमेल नहीं कर पाऊँगा। कृपया आप एक हफ्ते पहले के किसी भी दिन का राशिफल उठाकर कल के अंक में छाप दीजिएगा।”
“परंतु पंडित जी, ये तो गलत होगा न हमारे लाखों पाठकों के साथ…”
“देखिए एडिटर साहेब, धरती की आबादी छह अरब से भी ज्यादा हो गई है। राशि हैं कुल बारह। मतलब ये हुआ कि एक-एक राशि पचास करोड़ से ज्यादा लोगों को कव्हर करती है। सौ बात की एक बात कहूँ, तो राशिफल किसी न किसी पर तो फिट बैठेगा ही न। और फिर मैं लैपटॉप लाया होता, तो खुद ही आपको कुछ भी कॉपी-पेस्ट करके भेज देता। पहले भी मैंने कई बार ऐसा किया है। अब आप ज्यादा मत सोचिए। जल्दी से कॉपी-पेस्ट कर डालिए। रखता हूँ फोन। गुड नाईट।”
संपादक महोदय सोच में पड़ गए, “जब कॉपी-पेस्ट ही करनी है तो फिर इस पंडित की जरूरत ही क्या है ?”
- डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़