कविता

जिंदगी

जिंदगी की राह पर ,इंसानों को बदलते देखा है|

कुछ किस्मत में होते, कुछ जुड़ते चले जाते है||

जो देते सदैव साथ,बुरे वक्त में साथ छोड़ते देखा है|

कहीं भरोसा टूटा बदलतें,रिश्तें के सब रंग देख लिए है||

आज अभिमान करने वालों को, नीचे सर झुकाए देखा है|

सफलता जिसे भी मिल जाती, उसे गुरूर करते देखा है||

आज बदलते रिश्तों में जलन, क्रोध अहं आ गया|

अपनापन तो नहीँ रिश्तों में, दिखावा आ गया|

वक्त के साथ लोंगो के, व्यवहार  बदलते देखा है|

तारीफ करते है सामने ,पीछे बुराई करते देखा है[….]

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश