कविता

कविता

कुछ लोग कहते हैं

कि युद्ध थल पर

जल पर

नभ पर 

और साइबर पर होते हैं

पर ऐसा नहीं? कदापि नहीं?

युद्ध तो होते हैं, 

हम औरतों की छातियों की विस्तृत परिधियों पर

हमारे मासूम बच्चों के पेटों 

और उनकी रीढ़ों के भूगोलों पर 

जब तमाम बम, मिसाइलें गिरतीं हैं 

ऊंची-ऊंची इमारतों पर

रिहायशी इलाकों पर

रसद और आयुध पर

तब मातमी धुएं और घनी धुंध में,

चारों दिशाओं में हाहाकार-चीत्कार उठता है

लोग मरते हैं,घायल होकर तड़पते हैं 

लाशों चीथड़ों से सनी-पटी धरती का      

 कलेजा लाल-लाल हो 

घोर करूणा से चिंघाड़ता-कराहता है।

तब उन्हीं लाशों चीथड़ों के बीच तड़पड़ते हुए 

लोगों के बीच से

परकटे परिन्दों सी बची हुई घायल-चोटिल लड़कियों को, 

औरतों को मांसखोर आदमखोर गिद्ध उन्हें नोंच-नोंच कर तिल-तिल खाने लगते हैं।

आदमखोर वहशी गिद्ध बच्चों को भी नहीं बख्शते 

उनकी मासूमियत को नोंच डालते हैं

 हिटलरों के वहशीपन की तरह

जार-जार रोती उन स्त्रियों की, बच्चों की, 

रोती तड़पती रूहों की, 

कातर आवाजें आकाश तक गूंजती रहती हैं, 

पर अंधे बहरे लोभी धर्मांध सियासतदां

 उन्हें नहीं सुन पाते, नहीं देख पाते।

अगर न यकीं हों तो इस्राइल फलस्तीन के

युद्ध को देख समझ सकते हैं 

जहां धूं धूं कर जलती इमारतों के बीच से वहशियों से लुटती, पिटती, घिसटती

स्त्रियों के घोर करूण दारूण चीखों को सुन सकते हैं। 

कोई जीते कोई हारे, 

पर हम स्त्रियां की रूहें युद्ध में बलत्कृत होती रहेंगी, 

हमेशा लहूलुहान होती रहीं हैं 

और होती रहेंगी।

— सुरेश सौरभ

सुरेश सौरभ

शिक्षा : बीए (संस्कृत) बी. कॉम., एम. ए. (हिन्दी) यूजीसी-नेट (हिन्दी) जन्म तिथि : 03 जून, 1979 प्रकाशन : दैनिक जागरण, राजस्थान पत्रिका, हरिभूमि, अमर उजाला, हिन्दुस्तान, प्रभात ख़बर, सोच विचार, विभोम स्वर, कथाबिंब, वगार्थ, पाखी, पंजाब केसरी, ट्रिब्यून सहित देश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं एवं वेब पत्रिकाओं में सैकड़ों लघुकथाएँ, बाल कथाएँ, व्यंग्य-लेख, कविताएँ तथा समीक्षाएँ आदि प्रकाशित। प्रकाशित पुस्तकें : एक कवयित्री की प्रेमकथा (उपन्यास), नोटबंदी, तीस-पैंतीस, वर्चुअल रैली, बेरंग (लघुकथा-संग्रह), अमिताभ हमारे बाप (हास्य-व्यंग्य), नंदू सुधर गया, पक्की दोस्ती (बाल कहानी संग्रह), निर्भया (कविता-संग्रह) संपादन : 100 कवि, 51 कवि, काव्य मंजरी, खीरी जनपद के कवि, तालाबंदी, इस दुनिया में तीसरी दुनिया, गुलाबी गालियाँ विशेष : भारतीय साहित्य विश्वकोश में इकतालीस लघुकथाएँ शामिल। यूट्यूब चैनलों और सोशल मीडिया में लघुकथाओं एवं हास्य-व्यंग्य लेखों की व्यापक चर्चा। कुछ लघुकथाओं पर लघु फिल्मों का निर्माण। चौदह साल की उम्र से लेखन में सक्रिय। मंचों से रचनापाठ एवं आकाशवाणी लखनऊ से रचनापाठ। कुछ लघुकथाओं का उड़िया, अंग्रेज़ी तथा पंजाबी आदि भाषाओं में अनुवाद। सम्मान : अन्तरराष्ट्रीय संस्था भाखा, भाऊराव देवरस सेवा न्यास द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर प्रताप नारायण मिश्र युवा सम्मान, हिन्दी साहित्य परिषद, सीतापुर द्वारा लक्ष्य लेखिनी सम्मान, लखीमपुर की सौजन्या, महादलित परिसंघ, परिवर्तन फाउंडेशन सहित कई प्रसिद्ध संस्थाओं द्वारा सम्मानित। सम्प्रति : प्राइवेट महाविद्यालय में अध्यापन एवं स्वतंत्र लेखन। सम्पर्क : निर्मल नगर, लखीमपुर-खीरी (उत्तर प्रदेश) पिन कोड- 262701 मोबाइल- 7860600355 ईमेल- [email protected]