धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

हो गए नवरात्रि के व्रत पूरे ?

तो हम सबने व्रत रखे, किसी ने एक या दो दिन तो किसी ने पूरे के पूरे नौ दिन! व्रत का अर्थ तो आप जानते ही होंगे? व्रत का अर्थ है धारण करना, संकल्प लेना। व्रत में संयम, संकल्प और नियम निहित होता है। व्यक्ति को अपने जीवन में किसी भी सफलता को प्राप्त करने के लिए संकल्प और नियमों की आवश्यकता पड़ती है। संकल्प से ही संयम जागृत होता है। तो क्या आपने सिर्फ शरीर को भूखा रख कर व्रत किया? फलाहार किया होगा, सेंधा नमक प्रयोग किया होगा? इससे क्या होता है? अरे यह पचने में आसान, हल्का और ऊर्जा देने वाला होता है। ऐसे आहार के सेवन से मानसिक शक्ति और शारीर की सेहत में सुधार होता है। तो हम यूँ समझ लें कि व्रत उपवास करने से तन और मन के विकार दूर होकर तन स्वस्थ और मन पवित्र हो जाता है, है ना? नहीं!!! ऐसा होता तो हर घर स्वर्ग होता, सारे रिश्ते प्रेमपूर्ण होते, क्लेश और कलह कहीं दिखाई ना देते। पर दुर्भायपूर्ण है, यह सब घर-घर में विद्यमान हैं । तो क्या व्रत ना किये जाएँ? नहीं, ऐसा नहीं है, व्रत कीजिये जनाब, सिर्फ जिह्वा के स्वाद का नहीं (हांलांकि प्रायः ऐसे भी व्रती पाए जाते हैं जिन्हें खाना तो फलाहार ही है, लेकिन उसका स्वादिष्ट होना परम अनिवार्य है, किन्तु उन पर मैं अभी बात नहीं कर रही) तो जिह्वा को सीमित वस्तुओं तक रोक कर, हम समझते हैं हमने व्रत कर लिया । मैं समझती हूँ, यदि हम सचमुच बस निराहार या फलाहार को ही व्रत मानते हैं तो अभी हम समझ कि यात्रा में बहुत पिछड़े हैं । व्रत में संयम हो क्रोध पर, अपशब्द पर, क्लेश या कलह करने की प्रवृत्ति पर, दूसरों के प्रति राग-द्वेष-कुंठा-ईर्ष्या की मानसिकता पर । शायद तब सही मायनों में व्रत का कुछ फल प्राप्त हो । यदि आज भी आप निराहार/फलाहार के साथ नौ दिन व्यतीत करते हैं, पर किसी को अपशब्द कहने में या किसी की चुगली करने में, किसी से झगड़ा या क्लेश करने में एक क्षण का भी समय नहीं गंवाते, तो कोलाहल से परे, एकांत में बैठिये, आँखें बंद कीजिये, ईश्वर की दिव्यता को अनुभूत करने का प्रयत्न कीजिये, और इस विशाल ब्रह्माण्ड में स्वयं को लेशमात्र से भी कम मानते हुए, अपने व्रत के भाव की पुनरावृत्ति कीजिये, मनन कीजिये, और जो उचित समझ आये वो कीजिये, नवरात्रि फिर से आएगी, और आप व्रत भी फिर से करेंगे, है ना?

— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी