दिलों के दरम्यां
हम दिलों के दरम्यां दीवाल नही रखते।
लाख तकरार हो कभी मलाल नही रखते।
वो खुद iखिचें चले आते है चाहत के सहारे,
हम परींदो को पकड़ने जाल नही रखते।
खुद समझ लेते है हम दिल की हर बात,
उन के आगे बेवजह सवाल नही रखते,
कोई परदा नही रखते, जब भी मिलते है ,
दोस्ती में अपने पराये का ख्याल नही रखते।
वो जो हम पे फिदा है, सब खुदा का करम है,
मुकद्दर है, हम कोई कमाल नही रखते।
— ओमप्रकाश बिन्जवे”राजसागर”