गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल – दीवाली

मन मस्तिष्क के दीप जलाएं आज दीवाली का त्योहार।
दुश्मन को भी मीत बनाएं आज दीवाली का त्योहार।
इस से भारत की स्वच्छता जीवन जीने का अंदाज़,
अपने घर को खुब सजाएं आज दीवाली का त्योहार।
सुखद पलों का लुतफ़ उठा कर मंत्रों की भव्य ध्वनि में,
नैतिकता के गीत सुनाएँ आज दीवाली का त्योहार।
कर्तव्य दायितवों से भर कर निर्धन की भी चौखट पर,
प्यार की ज्योति लेकर जाएं आज दीवाली का तयोहार।
नीरसता और शिथिलता में स्फूर्तिमय चेतनता के,
इन्द्रधनुषी रंग उठाएं आज दीवाली का त्योहार।
विश्वासों एंव आदर्शों का प्रेम दया का सुन्दर नग़मा,
आओ सब मिल जुल कर गाएं आज दीवाली का त्योहार।
श्री राम-लक्ष्मण का दायित्व भरत के कर्तव्य कर्म का,
सब को यह आदर्श समझाएं आज दीवाली का त्योहार।
लाखों ही श्रदालु, आनंद लेने जीवन सरस बनाने,

हरि मन्दिर में आएं-जाएं आज दीवाली का त्योहार।
कृषक समाज में एक समृद्धि पूर्ण जन जीवन से देश,
सहिष्णुता की प्रीत बनाएं आज दीवाली का त्योहार।
भारत धर्म-प्रवण देश ऋर्षियों-मुनियों की तपो भूमि,
बालम सम सदभाव बढाएं आज दीवाली का त्योहार।

— बलविन्दर बालम

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409