कविता

रावण का आग्रह

कल शाम रावण से मुलाकात हो गईबड़े प्यार से हमारी आपस में बात भी हो गई,पर ये मुलाकात मेरे जी का जंजाल बन गई।हालांकि मुझे कोई खतरा नहीं है न ही कोई अनिवार्य शर्त हैपर इतना जरूर है कि रावण का आग्रह जरुर है।अब आप मुझे बेवकूफ भी कह सकते हैंनसीहत में साफ मना करने का सुझाव दे सकते हैं।पर अब सब बेकार हैएक असहाय प्राणी का आग्रह हैजिसे ठुकरा कर मैं पाप का भागीदारबनने का जोखिम नहीं ले सकता इसलिए उसके आग्रह को स्वीकार करने के सिवामेरे पास और कोई चारा नहीं भी नहीं था।अब ये बात मुझे समझ नहीं आ रहाआप लोग इतना बेचैन क्यों हो रहे हैं?जब हम रावण का आग्रह आपसे साझा करने के लिए खुद उतावला हो रहा हूँ।सबसे पहले मैं साफ कर दूंकि रावण से मेरा तनिक भी याराना नहीं हैपर वो यमराज के सुझाव पर मेरे पास चला आयाऔर पूरी ईमानदारी से अपनी इच्छा बता गया।दरअसल वो राम जी मिलना चाहता हैशायद अपने मन की कोई पीड़ा कहना चाहता हैकुछ तो विशेष है जो वो सिर्फ राम जी सेमिलकर ही कहना चाहते,मेरे बारे बार पूछने पर भीसिर्फ हाथ जोड़कर निवेदन करता है।अब भला मैं रावण का आग्रह कैसे ठुकरा देता?आखिर यमराज की नाक कैसे कटने देता?रावण से न सही यमराज से तो है मेरा घनिष्ठ रिश्ता।अब आप लोग कुछ कहना चाहते हैं तो कह सकते हैंरावण के राम जी से मिलने में आपको कोई असुविधा हैतो आप सब बेहिचक कह सकते हैंआप रामजी और रावण के इस मिलन को रोक सकते हैं तो बेहिचक रोक भी सकते हैंपर मेरे आश्वासन की राह में रोड़े नहीं अटका सकते हैं।क्योंकि मैं अपने वचनों का पालन करुंगा,रामजी के साथ रावण की द्विपक्षीय वार्ता काप्रबंध और उसकी इच्छा तो जरूर पूरी करुंगा।

कल शाम रावण से मुलाकात हो गई

बड़े प्यार से हमारी आपस में बात भी हो गई,

पर ये मुलाकात मेरे जी का जंजाल बन गई।

हालांकि मुझे कोई खतरा नहीं है 

न ही कोई अनिवार्य शर्त है

पर इतना जरूर है कि रावण का  आग्रह जरुर है।

अब आप मुझे बेवकूफ भी कह सकते हैं

नसीहत में साफ मना करने का सुझाव दे सकते हैं।

पर अब सब बेकार है

एक असहाय प्राणी का आग्रह है

जिसे ठुकरा कर मैं पाप का भागीदार

बनने का जोखिम नहीं ले सकता 

इसलिए उसके आग्रह को स्वीकार करने के सिवा

मेरे पास और कोई चारा नहीं भी नहीं था।

अब ये बात मुझे समझ नहीं आ रहा

आप लोग इतना बेचैन क्यों हो रहे हैं?

जब हम रावण का आग्रह 

आपसे साझा करने के लिए खुद उतावला हो रहा हूँ।

सबसे पहले मैं साफ कर दूं

कि रावण से मेरा तनिक भी याराना नहीं है

पर वो यमराज के सुझाव पर मेरे पास चला आया

और पूरी ईमानदारी से अपनी इच्छा बता गया।

दरअसल वो राम जी मिलना चाहता है

शायद अपने मन की कोई पीड़ा कहना चाहता है

कुछ तो विशेष है जो वो सिर्फ राम जी से

मिलकर ही कहना चाहते,

मेरे बारे बार पूछने पर भी

सिर्फ हाथ जोड़कर निवेदन करता है।

अब भला मैं रावण का आग्रह कैसे ठुकरा देता?

आखिर यमराज की नाक कैसे कटने देता?

रावण से न सही यमराज से तो है मेरा घनिष्ठ रिश्ता।

अब आप लोग कुछ कहना चाहते हैं तो कह सकते हैं

रावण के राम जी से मिलने में आपको कोई असुविधा है

तो आप सब बेहिचक कह सकते हैं

आप रामजी और रावण के इस मिलन को 

रोक सकते हैं तो बेहिचक रोक भी सकते हैं

पर मेरे आश्वासन की राह में रोड़े नहीं अटका सकते हैं।

क्योंकि मैं अपने वचनों का पालन करुंगा,

रामजी के साथ रावण की द्विपक्षीय वार्ता का

प्रबंध और उसकी इच्छा तो जरूर पूरी करुंगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921