प्यार
प्यार बड़ा अंजान होता
यदि हो जाता तो होता जानदार
रोजाना उसे देखे बगैर नींद नहीं आती
प्यार में वो ही इमान होता।
प्यार की ताली दोनों हाथों बजती
तभी तो सच्चा प्यार होता
कभी तकरार कभी इजहार होता
प्यार का संदेश प्यार का आराध्य होता।
प्यार की मंजिले बढ़ती रहती
जिसमें ख्वाइशें बेक़रार होती
मुलाकाते बन जाती बहाना
तब ये हसरतें ही चाँद का दीदार होती।
— संजय वर्मा “दृष्टि”