स्वास्थ्य

क्या चुम्बन निरापद है?

पीएमओ, उपाध्यक्षजी, [नीति आयोग], केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रीजी और देश के स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा से जुड़े सभी संगठन, यथा आरोग्य भारती, नेशनल मेडिकल कमीशन, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, सेवादल आदि, एड्स रोगियों से जुड़े शासकीय और अशासकीय संगठन, एड्स रोगी, मृत अथवा जीवित एड्स रोगियों के पीड़ित और चिन्ताग्रस्त परिजन तथा अन्य महानुभाव, चिकित्सकगण, चिकित्सा विद्यार्थी समुदाय तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् आदि कृपा करके अध्यक्ष महोदय और लोक सूचना अधिकारी, नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन [नाको] तथा नेशनल मेडिकल कमीशन से सूचना अधिकार अधिनियम के तहत अधोलिखित जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करें, क्योंकि मैं असफल रहा हूँ :-

·        यह सर्वज्ञात है कि एचआईवी /एड्स पूरे समाज में एक भयकारी स्थिति के रूप में कुख्यात रहा है, इसे असाध्य रोग के रूप में जाना जाता रहा है, समाचार पत्रों और सावधान इण्डिया जैसे धारावाहिकों से यह स्पष्ट होता रहा है कि एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति और उनके परिजनों का एक तरह से सामाजिक बहिष्कार और तिरस्कार हो जाता रहा है, यहाँ तक कि अस्पतालों में भी भेदभाव की खबरें आती रही हैं I यह कहना कदापि अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं है कि एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति का जीवन नारकीय हो जाता रहा है I यदि इसमें किसी व्यक्ति को अतिशयोक्ति प्रतीत हो तो क्षमा करें I ऐसी दर्दनाक और नारकीय परिणामों को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार के दायित्ववान प्रतिनिधि के रूप में नागरिकों को सजग करने के लिए तैनात नाको ने निश्चित रूप से अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता के तहत एड्स से बचाव और उपचार आदि विषयक अपने प्रकाशनों में एक-एक शब्द की सत्यता, वैज्ञानिकता आदि को परखा ही होगा और यह भी देखा ही होगा कि सभी साहित्यों में एकरूपता हो और एक-एक शब्द के प्रभावों, निहितार्थों तथा बिटविन द लाइन्स के सन्देशों आदि का भी ध्यान रखा ही होगा I अस्तु, एक साधारण चिकित्सक और जागरूक नागरिक के रूप में राष्ट्रहित तथा नागरिकों के हित में कुछ बिन्दुओं का उल्लेख करना प्रासंगिक होगा I  

·        लोक सूचना अधिकारी कृपया नाको द्वारा जारी और मध्यप्रदेश एड्स राज्य एड्स नियन्त्रण समिति द्वारा अनुदित परिचारिकाओं [नर्सेस] के लिए प्रकाशित प्रशिक्षण-संदर्शिका के पृष्ठ क्रमांक 6 का अवलोकन करें, [त्वरित सन्दर्भ हेतु संलग्न] जिसके शीर्ष पर लिखा है कि इन क्रियाओं को करते हुए कोई व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित नहीं हो सकता है, इसके तहत चौथे बिंदु में लिखा है कि “साधारण चूमने से भी एचआईवी संक्रमण नहीं होता, अधिकाँश वैज्ञानिकों का यह मानना है कि अधिक समय तक लिए गए चुम्बन से एचआईवी संक्रमण सम्भव है क्योंकि इसमें रक्त परस्पर संपर्क में ज्यादा रहता है, साधारणत: इसकी सम्भावना कम ही रहती है” लोक सूचना अधिकारी से निवेदन है कि कृपया नाको कार्यालय में उपलब्ध सभी अभिलेखों की सत्यापित प्रामाणिक प्रतियाँ प्रदान करें, जिनमें साधारण चूमने तथा ‘अधिक समय तक लिए गए चुम्बन में रक्त परस्पर सम्पर्क में ज्यादा रहता है’, साधारणत: इसकी सम्भावना कम रहती है’, इन तीनों वक्तव्यों से सम्बन्धित पारिभाषिक और वैज्ञानिक शोधों आदि सहित सभी अभिलेखों की सत्यापित प्रति प्रदान करें I

·        लोक सूचना अधिकारी कृपया नाको द्वारा जारी और मध्यप्रदेश स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा प्रकाशित ट्रेनिंग माड्यूल ऑन एचआईवी इन्फेक्शन एण्ड एड्स फॉर मेडिकल ऑफिसर्स के पृष्ठ क्रमांक 10 का अवलोकन करें, जिसका शीर्षक है, ‘मोड्स बाय व्हिच एचआईवी इज नॉट ट्रांसमिटेड’ में लिखा है ड्राई किसिंग से संक्रमण नहीं होता है, कृपया उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर ड्राई किसिंग की परिभाषा की जानकारी दें और यह भी कि स्त्री-पुरुष, स्त्री-स्त्री और पुरुष-पुरुष के मध्य चुम्बन किन-किन स्थितियों में ड्राई होता है I

·        नाको द्वारा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए तैयार प्रशिक्षण-संदर्शिका के पृष्ठ क्रमांक 15 पर ‘रोड्स डेट एचआईवी विल नॉट टेक’ के शीर्षक के तहत लिखा है कि हगिंग एण्ड किसिंग ए पर्सन से संक्रमण नहीं होता है I नागरिकों के सर्वाधिक सम्पर्क में रहने वाले और उनसे सीधे-सीधे संवाद करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण माड्यूल में किसिंग को निरापद घोषित किए जाने से सम्बन्धित सभी वैज्ञानिक तथा अन्य अभिलेखों की सत्यापित प्रति प्रदान करें I

·        लोक सूचना अधिकारी कृपया प्रामाणिक जानकारी देने का कष्ट करें कि एचआईवी / एड्स के संक्रमण की दृष्टि से तीन अलग-अलग संदर्शिकाओं में चुम्बन के विषय में तीन अलग-अलग वक्तव्यों की पृष्ठभूमि में आखिर कौन-कौन से अभिलेख और वैज्ञानिक सन्दर्भ या अध्ययन हैं, और इस विषयक नोटशीट्स की सत्यापित प्रतियाँ प्रदान करें I

·        लोक सूचना अधिकारी उक्त तीनों संदर्शिकाओं के लेखन हेतु लेखकों के चयन की सम्पूर्ण प्रक्रिया, नियमावलियों आदि की सत्यापित प्रतियाँ प्रदान करें I तीनों संदर्शिकाओं के लेखकों का चयन किस आधार पर किया गया, उन सभी अभिलेखों की सत्यापित प्रतियां प्रदान करें I लेखकों के नाम, उनकी विषाणु विज्ञान[वायरल विज्ञान] विषयक शैक्षिक तथा अन्य अहर्ताओं आदि की सत्यापित प्रतियाँ प्रदान करें I लेखक चयन के लिए नियम निर्धारण के लिए बनी समितियों के सदस्यों के नाम, पद आदि विस्तृत जानकारियों के समस्त अभिलेखों की सत्यापित प्रतियाँ प्रदान करें I तीनों संदर्शिकाओं की पांडुलिपियों का सत्यापन करने वाले अधिकारी/ अधिकारियों के नाम, पद और शैक्षिक योग्यताओं के सभी अभिलेखों तथा प्रकाशन विषयक निर्णय की नोटशीट्स आदि सभी अभिलेखों की सत्यापित प्रतियां प्रदान करें I

·        तीनों संदर्शिकाओं के लेखक/ लेखकों के नाम प्रकाशित नहीं किए जाने विषयक निर्णयों की नोट शीट्स की सत्यापित प्रतियां प्रदान करें I

·        लोक सूचना अधिकारी कृपया ध्यान दें कि मेडिकल ऑफिसर्स, नर्सेस और हेल्थ वर्कर्स के प्रति वायरस के भिन्न-भिन्न तथा पक्षपाती प्रभावों के विषय में जानने हेतु यदि नाको द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन, देश-विदेश के शीर्षस्थ विषाणु विज्ञानियों तथा केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जिज्ञासा युक्त पत्र प्रेषित किए गएँ हो तो उन पत्रों तथा सम्पूर्ण पत्राचारों की सत्यापित प्रतियाँ प्रदान करें I  

·        चूँकि मुझे और मेरे जैसे अनेक चिकित्सा शिक्षकों को मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के तहत “फिजिशियन्स ट्रेनिंग ऑन एड्स” की तीन दिवसीय ट्रेनिंग दी गई थी, इसका सीधा-सीधा अर्थ यही है कि तदर्थ भारतीय चिकित्सा परिषद [अब नेशनल मेडिकल कमीशन] द्वारा प्रदत्त अनुमति विषयक सभी अभिलेखों की सत्यापित प्रतियाँ प्रदान करें I नेशनल मेडिकल कमीशन के लोक सूचना अधिकारी कृपया सत्यापित जानकारी प्रदान करें कि भारतीय चिकित्सा परिषद् और उसके अधीन कार्यरत मेडिकल कॉलेजों के कम्युनिटी मेडिसिन के विद्वान प्रशिक्षिकों ने अलग-अलग स्तर के प्रशिक्षुओं को चुम्बन विषयक तीन पृथक-पृथक जानकारियाँ कम्युनिटी मेडिसिन और विषाणु विज्ञान की किन-किन पुस्तकों अथवा वैज्ञानिक अभिलेखों के आधार पर प्रदान की, उन सभी पुस्तकों के सम्बन्धित पृष्ठों तथा अभिलेखों की सत्यापित प्रतियाँ प्रदान करने का कष्ट करें I  

 [विशेष सूचना: चूँकि मेरे अभिभाषक के रूप में मेरी ओर से इन्दौर के ख्यात अभिभाषक स्व. श्री सुरेश नारायण सक्सेना ने 26 सितम्बर 2008 को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तथा नाको को चुम्बन की निरापदता और तीन संदर्शिकाओं में पृथक-पृथक वक्तव्यों के स्पष्टीकरण विषयक कानूनी नोटिस प्रेषित किया था साथ ही कण्डोम को एड्स के संक्रमण की दृष्टि से ब्रह्मास्त्र की तरह प्रचारित करने पर रोक लगाने की मांग की थी I परन्तु उस नोटिस का आज दिनांक तक कोई उत्तर नहीं मिला है I इसके विपरीत मुझे ही मध्यप्रदेश एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने कारण बताओ नोटिस थमा दिया था और जब मैंने नाको द्वारा प्रकाशित संदर्शिकाओं में वर्णित वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर अपना पक्ष बताते हुए चुम्बन विषयक स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध किया था, तो उसका भी इतने वर्षों उपरान्त भी आज पर्यन्त कोई उत्तर नहीं मिला है I]

— मनोहर भण्डारी