पर्यावरण

गौ माता की रक्षा में पालिथीन 

 प्रिय भक्तों! आज मैं जो आप को ज्ञान देने जा रहा हूं, उसे बहुत ध्यान से सुनो। मैं जो कहना चाहता हूं, अगर मैंने आज वह नहीं कहा, तो इस देश का इतिहास मुझे कभी नहीं माफ करेगा। लेकिन मैं कुछ कहने से पहले आप जनता-जनार्दन से यह पूछना चाहता हूं कि जब इतनी गायें, पॉलिथीन खा-खा कर मर रही हैं तो क्या हमें पॉलिथीन बंद करनी चाहिए या नहीं करनी चाहिए। सामने बैठी, कुछ खड़ी जनता समवेत स्वर में- बिल्कुल बंद करनी चाहिए …. मित्रों, मैं जो कुछ भी कह हूं आप सब की भलाई के लिए ही कह रहा हूं।

    बहनों-भाइयों आप सभी लोगों मालूम है कि गौ माता के पावन शरीर में 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं और इन्हीं देवी-देवताओं के सहारे हम चल रहे हैं। आप चल रहे हैं। मैं तो कहता हूं, यह पूरा देश चल रहा है। पूरा विश्व चल रहा है। पूरा ब्रह्मांड चल रहा है। चल रहा है कि नहीं चल रहा है। सामने पब्लिक फिर एक स्वर में बिल्कुल चल रहा है… बिल्कुल चल रहा है…. तो मैं आप लोगों से एक बात और फिर पूछना चाहता हूं कि हमें गौ माता की रक्षा करनी चाहिए या नहीं करनी चाहिए। पब्लिक-बिल्कुल करनी चाहिए जोगी तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं। जोगी तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं। फिर जोगी बाबा खुश होकर अपनी छाती ठोक कर माइक पर दहाड़ते हैं- बस ! बस ! मैं आप लोगों की ऐसी ही देश भक्ति देखना चाहता हूं। जब मैं देश की खातिर जोगी बन सकता हूं । झोला उठाये उठाये घर-बार छोड़कर घाट-घाट घूम सकता हूं तो फिर आप की जिम्मेवारी भी बनतीं है कि इस पॉलिथीन को बिल्कुल अच्छी तरह से अछूत की तरह साफ कर दो। आप हमारा सहयोग करें। हम आपके साथ हैं।

     आइए! हम सब इस धरती माता की कसम खाएं कि इस पॉलिथीन का उपयोग बंद करके अपनी गौ माता की रक्षा करेंगे और अगर आप सब लोग हमारे साथ हैं तो अपने दोनों हाथों को उठाइए और जोर से कहिए-हमें धरती मां की सौगंध-सामने पब्लिक दोनों हाथ उठाकर दुहराती है – हमें धरती मां की सौगंध… जोगी- हम देश को बर्बाद होने नहीं देंगे? पब्लिक हम देश को बर्बाद होने नहीं देंगे। जोगी- हम देश की गो संपदा को बर्बाद होने नहीं देंगे। पब्लिक- हम देश की गो संपदा को बर्बाद होने नहीं देंगे। जोगी हम पॉलिथीन के राक्षस को मारकर गौ माता की रक्षा करेंगे। पब्लिक-हम पॉलिथीन के राक्षस को मारकर गौ माता की रक्षा करेंगे ।

 मित्रों! आप सबको मैं यह विश्वास दिलाता हूं कि गाय से ही, हम बाबाओं का यह देश चला रहा है। जब तक हमारी गौ माता सुरक्षित है, तब तक हमारी सरकार सुरक्षित है। देश सुरक्षित है। मैं इस देश को मिटने नहीं दूंगा, गायों को कटने-मरने नहीं दूंगा। तभी सामने खड़ी जनता जोगी ! जोगी! जोगी! खूब जोर-जोर से चिल्लाने लगती है।

— सुरेश सौरभ

सुरेश सौरभ

शिक्षा : बीए (संस्कृत) बी. कॉम., एम. ए. (हिन्दी) यूजीसी-नेट (हिन्दी) जन्म तिथि : 03 जून, 1979 प्रकाशन : दैनिक जागरण, राजस्थान पत्रिका, हरिभूमि, अमर उजाला, हिन्दुस्तान, प्रभात ख़बर, सोच विचार, विभोम स्वर, कथाबिंब, वगार्थ, पाखी, पंजाब केसरी, ट्रिब्यून सहित देश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं एवं वेब पत्रिकाओं में सैकड़ों लघुकथाएँ, बाल कथाएँ, व्यंग्य-लेख, कविताएँ तथा समीक्षाएँ आदि प्रकाशित। प्रकाशित पुस्तकें : एक कवयित्री की प्रेमकथा (उपन्यास), नोटबंदी, तीस-पैंतीस, वर्चुअल रैली, बेरंग (लघुकथा-संग्रह), अमिताभ हमारे बाप (हास्य-व्यंग्य), नंदू सुधर गया, पक्की दोस्ती (बाल कहानी संग्रह), निर्भया (कविता-संग्रह) संपादन : 100 कवि, 51 कवि, काव्य मंजरी, खीरी जनपद के कवि, तालाबंदी, इस दुनिया में तीसरी दुनिया, गुलाबी गालियाँ विशेष : भारतीय साहित्य विश्वकोश में इकतालीस लघुकथाएँ शामिल। यूट्यूब चैनलों और सोशल मीडिया में लघुकथाओं एवं हास्य-व्यंग्य लेखों की व्यापक चर्चा। कुछ लघुकथाओं पर लघु फिल्मों का निर्माण। चौदह साल की उम्र से लेखन में सक्रिय। मंचों से रचनापाठ एवं आकाशवाणी लखनऊ से रचनापाठ। कुछ लघुकथाओं का उड़िया, अंग्रेज़ी तथा पंजाबी आदि भाषाओं में अनुवाद। सम्मान : अन्तरराष्ट्रीय संस्था भाखा, भाऊराव देवरस सेवा न्यास द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर प्रताप नारायण मिश्र युवा सम्मान, हिन्दी साहित्य परिषद, सीतापुर द्वारा लक्ष्य लेखिनी सम्मान, लखीमपुर की सौजन्या, महादलित परिसंघ, परिवर्तन फाउंडेशन सहित कई प्रसिद्ध संस्थाओं द्वारा सम्मानित। सम्प्रति : प्राइवेट महाविद्यालय में अध्यापन एवं स्वतंत्र लेखन। सम्पर्क : निर्मल नगर, लखीमपुर-खीरी (उत्तर प्रदेश) पिन कोड- 262701 मोबाइल- 7860600355 ईमेल- [email protected]