लघुकथा

लघुकथा – प्रतिभा

रीना के पिता बचपन में ही गुजर जाने की वजह से रीना की माँ ने सिलाई का काम शुरू किया| वक्त के साथ साथ सिलाई का काम भी अच्छा चल रहा था| रीना भी बड़ी हो गयी रीना भी अलग अलग डिजाइन के कपड़े सिलना बहुत पसंद था और साथ में पढ़ाई भी करती थी एक दिन रीना की सहेली राधा बोली ” रीना तुमको अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए लोगो के सामने आना होगा  जिससे लोग तुम्हारे हाथ के डिजायनर कपड़े देखकर तुम्हारी प्रतिभा को पहचाने रीना शहर में मेला लग रहा है अगर तुम अपने डिजाइन किए हुए कपड़ो की स्टाल लगाएंगी तो हो सकता है तेरे डिजाइन किए कपड़े किसी को पसंद आ जाएं

 रीना बोली ” तुम सही कह रही हो मैं भी स्टाल लगाऊँगी “

 ऋचा जो एक प्रसिद्ध  बुटीक की मालकिन थी उसको रीना के हाथ के बने डिजाइन बहुत पसंद आये| उसने बुटीक में  सर्विस दे दी|   कपड़े विदेश में जाने लगे रीना देश विदेश में प्रसिद्ध हो गई|

अपनी प्रतिभा को कभी छिपाना नहीं चाहिए उसको सबके सामने लाकर अपनी पहचान बनानी चाहिए.[….]

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश