कविता

राहे सफर साथी

सफर कैसा भी 

लेकिन सफर पर चलते हुए

हमारा सफर तब आसान हो जाता है,

जब हमारा अपना कोई साथी

हमारी राह का पतवार बन जाता है ।

वो साथी जीवन साथी हो जरुरी नहीं

हमारे माता पिता, बड़े बुजुर्ग

हमारे भाई बहन, या बच्चे, यार दोस्त, 

अथवा शुभचिंतक भी हो सकतें हैं।

जिनका साथ हमें हंसाता, गुदगुदाता है,

हमारे आत्मविश्वास को परवान चढ़ाता है

हमारे मन के हर डर से हमें दूर रखता है 

तब हमें हमारी राहें बड़ी आसान सी लगती हैं

क्योंकि हमारा साथी हमारे साथ होता है

जिस पर हमें खुद से ज्यादा विश्वास होता है।

राहे सफर साथी का साथ बड़ा खुशगवार लगता है। 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921