कविता

हौसलों के पंख तू अपने लगा

मत घबरा हिम्मत कर आगे बढ़
मन से डर को दूर कर
लक्ष्य पर नजरें टिका तो एक बार
और पथ पर आगे बढ़ तो सही
हौसलों के पंख अपने तू लगा।
हार मत, विश्वास कर तू स्वयं पर
कर कदम मजबूत आगे तो बढ़
डर को ही बना ताकत तू अपनी
हौसलों के पंख अपने तू लगा।
पाना है यदि लक्ष्य तो
आगे ही आगे बढ़ता चल
डगमगाने लगे यदि कदम तेरे
फिर भी न डर, बस तू आगे ही बढ़
बस संजोए मन में रख विश्वास तू
हौसलों के पंख अपने तू लगा।
मिल जाएगा एक दिन जब लक्ष्य तुझको
खुद बखुद विश्वास हो जाएगा स्वयं को
दुनिया जब देगी तेरी नजीर
तब तुझे लगने लगेगा खुद बखुद
कर लिया संधान तूने लक्ष्य अपना।
उड़ने को तैयार हो जा आज तो
हौसलों के पंखों पर विश्वास कर
आसमां में उड़ने को तैयार हो
और कुछ कर, न कर तू बस इतना कर
हौसलों के पंख अपने तू लगा
अपनी ताकत का भी तो आंकलन कर।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921