पंच पर्व
दीपावली के साथ हमारे पाँच प्रमुख त्यौहार लगातार आते हैं-
*1. कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी- धन्वन्तरि जयन्ती*
माना जाता है कि इस दिन समुद्र मंथन के समय देवताओं के वैद्य भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। इसीलिए यह पर्व मनाया जाता है। इसका सीधा सम्बन्ध आयुर्वेद और स्वास्थ्य से है। धन से इसका कोई सम्बन्ध नहीं होता। लेकिन व्यापारियों ने इसका नाम बिगाड़कर ‘धनतेरस’ कर दिया है और इस दिन धातु की कोई वस्तु खरीदने की परम्परा चला दी है।
*2. कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी- रूप चौदस, नरकासुर वध, छोटी दीपावली*
इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अपनी रानी सत्यभामा की सहायता से नरकासुर नामक दैत्य का वध करके उसके द्वारा बंदी बनायी गयी हजारों महिलाओं को मुक्त कराया था। इसीलिए इस दिन को प्रकाश करके मनाया जाता है। इसे रूप चतुर्दशी और छोटी दीपावली भी कहा जाता है।
बहुत से लोग इस दिन को हनुमान जयन्ती के रूप में भी मनाते हैं, जो गलत है। वास्तव में हनुमान जी का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा को हुआ था। उन्हें चिरंजीवी माना जाता है।
*3. कार्तिक अमावस्या- दीपावली (लक्ष्मी-गणेश पूजन)*
माना जाता है कि इस दिन श्री राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, जिसकी प्रसन्नता में अयोध्यावासियों ने हजारों दीपक जलाकर प्रकाश किया था। इसी दिन की याद में यह पर्व मनाया जाता है। हालाँकि यह सत्य नहीं है। राम चैत्र मास में अयोध्या लौटे थे। इसे मनाने की परम्परा फसल के साथ जुड़ी हुई है। वैसे यह भी मान्यता है कि देवताओं और राक्षसों द्वारा मिलकर किये गये समुद्र मंथन में इस दिन लक्ष्मी उत्पन्न हुई थीं। इसलिए उनकी पूजा की जाती है।
इस दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा की जाती है, जो धन-सम्पत्ति और उसके सदुपयोग की भावना से जुड़ी होती है।
*4. कार्तिक शुक्ला प्रतिपदा- गोवर्द्धन पूजा, अन्नकूट*
यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाये जाने से सम्बंधित है। इसी घटना की याद में इस पर्व को अन्नकूट के नाम से मनाया जाता है और गोवर्धन की पूजा की जाती है।
*5. कार्तिक शुक्ला द्वितीया- भाई दूज, यम द्वितीया, चित्रगुप्त जयन्ती*
मान्यता है कि इस दिन यमुना ने अपने भाई यम को भोजन कराया था और यह वरदान पाया था कि इस दिन जो भाई अपनी बहिन के यहाँ भोजन करेंगे, उनको नरक का कष्ट नहीं सहना होगा। इसलिए यह पर्व भाई दूज या यम द्वितीया के नाम से प्रसिद्ध हो गया है।
इसी दिन कायस्थ समाज के आदिपुरुष श्री चित्रगुप्त का भी जन्मदिवस माना जाता है, जो यमराज के लेखाकार कहे जाते हैं।
इस विवरण से यह स्पष्ट है कि ये सभी पर्व स्वतंत्र हैं, इनका एक-दूसरे से कोई सम्बंध नहीं है। सभी भिन्न-भिन्न कारणों से मनाये जाते हैं। लेकिन ये लगातार एक-एक दिन के अन्तर से एक साथ आते हैं, इसलिए इनको सम्मिलित रूप में “पंच पर्व” कहा जाता है।
इस वर्ष 2023 में ये पंच पर्व क्रमशः 10 नवम्बर से प्रारम्भ होकर 15 नवम्बर तक मनाये जायेंगे। 13 नवम्बर को कोई पर्व नहीं है।
आप सभी को दीपावली सहित पंच पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !
*– डॉ. विजय कुमार सिंघल*