गीतिका/ग़ज़ल

रह जायेगा

जिंदगी ना तुझसे अब शिकवा गिला रह जायेगा

बाद मेरे अब न कोई सिलसिला रह जायेगा(1)

दिल लगा कर दिल्लगी कुछ इस तरह की यार ने

याद में जीने का अब ना हौंसला रह जायेगा।(2)

इश्क ने पूरी करी हैं क्या कभी फरमाइशें ?

पीछे मुड़ कर देख लेना, सोचता रह जायेगा।(3)

लानतें तो रोज ही हमको मिलीं सौगात में,

खोल दूं जो राज सुन तू बावला हो जायेगा (4)

— लता यादव

लता यादव

अपने बारे में बताने लायक एसा कुछ भी नहीं । मध्यम वर्गीय परिवार में जनमी, बड़ी संतान, आकांक्षाओ का केंद्र बिन्दु । माता-पिता के दुर्घटना ग्रस्त होने के कारण उपचार, गृहकार्य एवं अपनी व दो भाइयों वएकबहन की पढ़ाई । बूढ़े दादाजी हम सबके रखवाले थे माता पिता दादाजी स्वयं काफी पढ़े लिखे थे, अतः घरमें पढ़़ाई का वातावरण था । मैंने विषम परिस्थितियों के बीच M.A.,B.Sc,L.T.किया लेखन का शौक पूरा न हो सका अब पति के देहावसान के बाद पुनः लिखना प्रारम्भ किया है । बस यही मेरी कहानी है