मुक्तक/दोहा

नाचे मन का मोर

याद समुन्दर में चले, जब ख्वाहिश संगीत ,
मन लहरें झूमें भगत ,सुन के जीवन गीत।

उलझन में सुनना सदा ,अपने मन की बात ,
राह दिखा के वो सखे ,दे हर दुख को मात।

तन से निर्बल हो मगर ,मन से से जो हो वीर ,
शोभित होती है सदा ,उसके कर शमशीर।

मन पखेरु बोले सदा ,चल नापें आकाश,
ख़ुशी मनाएं रोज ही,ले दुख से अवकाश।

हँसता मुखड़ा देख के,दिल में उठे हिलोर ,
हृदय प्रफुल्लित हो उठे ,नाचे मन का मोर।

— महेंद्र कुमार वर्मा

महेंद्र कुमार वर्मा

द्वारा जतिन वर्मा E 1---1103 रोहन अभिलाषा लोहेगांव ,वाघोली रोड ,वाघोली वाघेश्वरी मंदिर के पास पुणे [महाराष्ट्र] पिन --412207 मोबाइल नंबर --9893836328