नाचे मन का मोर
याद समुन्दर में चले, जब ख्वाहिश संगीत ,
मन लहरें झूमें भगत ,सुन के जीवन गीत।
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उलझन में सुनना सदा ,अपने मन की बात ,
राह दिखा के वो सखे ,दे हर दुख को मात।
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तन से निर्बल हो मगर ,मन से से जो हो वीर ,
शोभित होती है सदा ,उसके कर शमशीर।
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मन पखेरु बोले सदा ,चल नापें आकाश,
ख़ुशी मनाएं रोज ही,ले दुख से अवकाश।
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हँसता मुखड़ा देख के,दिल में उठे हिलोर ,
हृदय प्रफुल्लित हो उठे ,नाचे मन का मोर।
— महेंद्र कुमार वर्मा