लघुकथा

दिल की धड़कन

वनिता की सहेली सुश्मिता की बहिन की शादी थी. सुश्मिता ने उसे बड़े प्रेम से आमंत्रित किया था और वह जाना भी चाहती थी, पर उसके घरवाले उसे शादी पर उनके गाँव में जाने नहीं दे रहे थे. किसी तरह सुश्मिता की दादीजी ने वनिता के पापा को मनवा लिया.
शादी का ताम-झाम और वनिता सभी सहेलियों संग खी-खी करने में व्यस्त! बारात आने पर गीत-संगीत-नृत्य की शुरुआत ही वनिता से हुई और दूल्हे का भाई लट्टू!
कुछ समय बाद इसी मनमौजी का रिश्ता वनिता के लिए आया.
जब मनमौजी उसे देखने आए तब उसने इनसे पूछा, “आपको हम अब भी याद हैं?”
“मोहतरमा.. याद की बात कर रही हो .. अपनी भाभी के पीछे पड़कर तुम्हारी कुंडली मंगाई, पंडितजी से हम दोनों के गुण मिलवाए, गुण मिलने के बाद ईश्वर से न जाने कितनी मन्नतें मांगीं, अपनी दीदी को न जाने कितनी रिश्वत देकर घरवालों से तुम्हारी बात चलवाई और तुम पूछती हो “हम अब भी याद है.” मनमौजी बोले.
अब यही मनमौजी वनिता के दिल की धड़कन हैं.

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244