गीत/नवगीत

नारी की जंग जारी है

नारी नित मुश्किल से लड़ती, संघर्षी है नारी जीवन।

देकर घर भर को उजियारा,पर दुख पाता नारी जीवन ।।

कर्म निभाती है वो तत्पर,हर मुश्किल से लड़ जाती।

गहन निराशा का मौसम हो,तो भी आगे बढ़ जाती।।

पत्नी,माँ के रूप में सेवा,तो क्यों खलता नारी जीवन।

देकर घर भर को उजियारा,पर दुख पाता नारी जीवन ।।

संस्कार सब उससे चलते,धर्म नित्य ही उससे खिलते।

तीज-पर्व नारी से पोषित,नीति-मूल्य सब उसमें मिलते।।

आशा और निराशा लेकर,नित ही पलता नारी जीवन।

देकर घर भर को उजियारा,पर दुख पाता नारी जीवन ।।

वैसे तो हैं दो घर उसके,पर सब कुछ बेमानी।

फर्ज़ और कर्मों से पूरित,नारी सदा सुहानी।। 

त्याग और नित धैर्य,नम्रता,संघर्षों में नारी जीवन।

देकर घर भर को उजियारा,पर दुख पाता नारी जीवन ।।

         — प्रो (डॉ) शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]