फूल
फूल लुभाते
मन को
फूल खिलते
सब जगहों पर
चाहे दल -दल
चाहे हो मरुस्थल।
फूल में श्रद्धा बसती
और रचते रंग
सुंदर महकते फूल
सुगंध का परचम
फहराते हवाओं में।
बेजान हो जाती
हवा
जब घुल जाता
हवाओं में प्रदूषण
छीन ले जाता हवाओं में
घुली खुश्बू
कीट -पतंगे
हो जाते बेसहारा
बिन सुगंध ,बिन मकरंध।
— संजय वर्मा “दृष्टि”