कविता

नफरत

नफरत से अब नफरत न कीजिएनफरत को भी भरपूर सम्मान दीजिए,कुछ नहीं मिलेगा नफरत से नफ़रत करकेनफरतों को अपनी मुहब्बत का पैगाम दीजिए।क्या मिला या मिल रहा हैनफरतों की मीनार बनाकरकौन सा आपके मान सम्मान मेंदिन दूनी रात चौगुनी बढ़ोतरी हो रही है।जब सब कुछ पता है आपकोतब नफरत के पीछे हाथ धोकरपीछे पड़े रहने की भला आपकी मजबूरी क्या है?जो भी है अब तो थोड़ी समझदारी दिखाइएनफरत को नफरत से नहीं किसी नये अंदाज में मिटाइए,प्यार मोहब्बत के रंग सेनफरत की दीवार को रंगीन बनाइए,नफरत को नफरत से नहींअपने अंदाज में नये रंग रुप में सजाइए,नफ़रतों पर कुछ तो रहम खाइएउसका भी थोड़ा मान सम्मान बढ़ाइएऔर खुद भी कुछ और नाम तो कमाइए।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921