प्राचार्य
‘‘शर्मा जी, सटरडे को आप गाँव जा रहे हैं क्या ?’’ प्रिंसिपल सर ने पूछा।
‘‘जी हाँ सर !’’ मैंने कहा।
‘‘बच्चों की छात्र सुरक्षा बीमा का फार्म डी.ई.ओ. ऑफिस में जमा करवाना है। कल सटर डे है, मार्निग क्लास लगेगी। आप ग्यारह बजे फ्री हो जाएँगे, जाते समय इन्हें जमा करवा देंगे। आपके घर के रास्ते में ही तो डी.ई.ओ. ऑफिस है। ये कम्पलीट है।’’ उन्होंने कहा।
‘‘ठीक है सर जी ! मैं ऐसा ही करूंँगा।’’ मैंने कहा।
अगले दिन घर जाते समय मैंने डी.ई.ओ. ऑफिस में फार्म जमा करवा दिये।
सोमवार को प्रिंसिपल सर को स्कूल में न देखकर मैंने क्लर्क से पूछा तो उसने बताया कि प्रिंसिपल सर तो छात्र सुरक्षा बीमा का फार्म जमा करवाने गए हैं और इस काम के लिए वे 350 रूपए का टी.ए., डी.ए. भी एडवांस में निकाल लिए हैं।
– डाॅ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़