मुक्तक/दोहा

मुक्तक

ना तो गूंगा है ना ही बहरा है ।।

देना सबको जवाब आता है ।।

डर से खामोश नहीं ये हर्गिज,,,

इसको रिश्ते की फ़िक्र ज्यादा है ।।

— समीर द्विवेदी नितान्त

समीर द्विवेदी नितान्त

कन्नौज, उत्तर प्रदेश