वाणी मीठी हो मृदुल!
वाणी हो सदा मिश्री घुली-सी,
वाणी न हो कड़वी करेले-सी,
वाणी मीठी हो मृदुल, मधुरिम,
वाणी सत्यार्थी, सुर-लय सरगम।।
वाणी मनजीता, होवे जग फेर,
संभलकर चलाइये शब्द-तीर,
कैंची-सी न चले उन्मुक्त जुबान,
वाणी प्रभु परमात्मा का वरदान।।
तोल मोल कर बोलो नित बोल,
शब्द न खोल दे सारी पोल,
छलनी न करें हॄदय, शब्द-घांव,
मीठे बोलों से मिले आह्लाद ठांव।।
पल दो पल का अनजान हैं सफर,
मस्तमौला, हो खुशमिजाज जीवन,
धन दौलत, वैभव संपदा का मोह,
जाना अकेले, क्यों अमर्याद उहापोह?
प्रेम, दया, करुणा भरी मन गागर,
धर्मानुरागी कर्म, श्रेष्ठ परोपकार,
मानवता से तृप्त कल्याणी भाव,
जीवन सार्थक, मिलेगी आनंद छांव।।