चाणक्य
बहुत बदला है मैंने खुद को
सीखा है ज़माने से
सच खुल कर बोला नहीं करते
मुँह पर जो कह देते हो बात
ठीक नहीं
मुँह देखी बात करो
जैसा वक़्त हो वैसी बात करो
ऐसा दिखलाओ
सामने वाले के हो बड़े हितेषी
सामने से नहीं पीछे से बार करो
जब से ऐसा खुद को बदला है
लोगों की नज़रों में
ऊँचा उठने लगा हूँ
लेकिन अपनी नज़रों में गिरने लगा हूँ
हाँ चाणक्य जरुर कहलाने लगा हूँ.