माँ तेरे चरणों में चारों धाम है
माँ तुम ही मेरी पूजा हो
तुम धरती सी सहनशील हो,
माँ तुम पल में पीड़ा हर लेती हो
तुम नवरूपा जग कल्याणी हो।
माँ तुम सरस्वती और लक्ष्मी हो
माँ तुम ही पथ प्रदर्शक हो,
तुमने ही पेड़ों की तरह छाँव देना
फल देना और झुकना सिखाया।
माँ तुम ज्ञानी और विज्ञानी हो
तुममें सागर सी गहराई है,
और गगन सी ऊँचाई है
तेरे पद पंकज में मैं शीश नवाऊं।
माँ तुम दया, प्यार की मूरत हो
मेरे लिए भूख प्यास सहती रही,
होठों पर सदा तेरी मुस्कान रही
दिल से स्नेह बरसाती रही।
मुझे प्रेम का तूने पाठ पढ़ाया
भले बुरे का तूने बोध कराया,
सच में संस्कारों की खान हो
माँ तेरे चरणों में चारों धाम है।
— कालिका प्रसाद सेमवाल